देश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों की रफ्तार को कम करने के लिए टीकाकरण अभियान जारी है। 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का भी टीकाकरण शुरू हो गया। हालांकि, देश में ऐसे लोग भी हैं जिनके पास फोटो पहचान पत्र के नाम पर कुछ भी नहीं है। ऐसे लोगों को टीकाकरण अभियान से जोड़ने के उद्देश्य से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिला कार्यबल के लिए एक एसओपी जारी की है। इसमें जिला कार्यबल को ऐसे लोगों की कोविन ऐप पर रजिस्ट्रेशन करने की जिम्मेदारी दी गई है, जिनके पास फोटो पहचान पत्र नहीं है।
बता दें कि कोरोना टीकाकरण का डाटा एक सॉफ्टवेयर पर पंजीकृत किया जा रहा है। इसके लिए वैक्सीन लगवाने वाले के पास एक वैध पहचान पत्र होना जरूरी है। ऐसे में जिन लोगों के पास कोई भी फोटो पहचान पत्र नहीं होगा, उन्हें टीका लगवाने में समस्या हो सकती है। साथ ही ऐसे समूह से संक्रमण के मामलों के बढ़ने का खतरा भी बना रहेगा। इसी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने यह एसओपी जारी की है।
इन लोगों को लगाया जाएगा बिना फोटो पहचान पत्र के टीका
केंद्र सरकार ने फोटो पहचान पत्र के बिना टीकाकरण के लिए लोगों के कई समूहों की पहचान की है। लोगों के ऐसे समूहों में खानाबदोश (विभिन्न धर्मों के साधु/संत सहित), जेल के कैदी, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में बंद कैदी, वृद्धाश्रम के लोग, भिखारी, पुनर्वास केंद्रों में रहने वाले लोग शामिल हैं। ऐसे सभी लोगों को कोरोना टीका लगाया जाएगा, जिनके पास निर्धारित फोटो पहचान पत्र नहीं है। केंद्र ने कहा है कि अब वैध पहचान पत्र वाले एक प्रमुख सूत्रधार की पहचान की जाएगी जो इन समूहों के वैक्सीनेशन के लिए सेंटर प्वाइंट होगा। सरकार ने यह भी कहा है कि इसमें जेल अधिकारियों और वृद्धाश्रम के अधिकारी प्रमुख सूत्रधार के रूप में काम कर सकते हैं।
टीकाकरण के लिए जरूरी है इनमें से एक दस्तावेज
देश में कोरोना टीकाकरण के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट, एनपीआर स्मार्ट कार्ड और पेंशन दस्तावेज फोटो पहचान पत्र के तौर पर मान्य हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों से ऐसे लोगों के बारे में कई आवेदन प्राप्त किए हैं, जिनके पास इनमें से कोई भी पहचान पत्र नहीं है। मंत्रालय ने कहा, ‘कोविड-19 टीकाकरण सेवाओं को पहचान प्रमाणों के अभाव में अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।’ स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि इन लोगों का टीकाकरण केवल सरकारी केंद्रों पर होगा। लाभार्थियों की पहचान को सत्यापित करने के लिए प्रमुख सूत्रधार की आवश्यकता होगी।
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