केंद्रीय मानव संसाधव विकास मंत्रालय ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी उत्तराखंड (NIT-Uttarakhand) के छात्रों के विरोध के बाद उन्हें एनआईटी जयपुर भेजने का फैसला किया है। उत्तराखंड के श्रीनगर स्थित एनआईटी के छात्र कैंपस को लेकर लंबे समय से विरोध कर रहे थे। अब मंत्रालय ने करीब 600 विद्यार्थियों को जयपुर भेजने का फैसला किया है, जहां ये उम्मीदवार आगे की पढ़ाई करेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा प्रथम, द्वितीय और तीसरे साल के विद्यार्थियों को तीन साल के लिए जयपुर भेजा गया है। हालांकि यह भी साफ कर दिया गया है कि जयपुर से पढ़ाई करने के बाद भी स्टूडेंट्स को एनआईटी उत्तराखंड की ही डिग्री दी जाएगी। दरअसल कैंपस की बीटेक स्टूडेंट नीलम मीणा के एक्सीडेंट के बाद यहां विरोध तेज हो गया था और छात्रों ने लेक्चर का बहिष्कार करने का फैसला किया था।
एनआईटी उत्तराखंड के अस्थायी कैंपस में गुजारा कर रहे छात्र करीब 9 साल से इसका विरोध कर रहे हैं। दरअसल 2009 में स्थापित हुए एनआईटी उत्तराखंड को एक अस्थायी कैंपस दिया गया है और अभी तक स्थायी कैंपस नहीं बना है। अभी कैंपस दो भाग में है और दोनों ब्लॉक के बीच से एक नेशनल हाईवे गुजरता है। विद्यार्थियों को कक्षा से लैब में जाने के लिए राष्ट्रीय मार्ग से गुजरना पड़ता है।
इस हाईवे की वजह से छात्रों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में दो स्टूडेंट का एक्सीडेंट भी हो गया था, जिसमें एक स्टूडेंट गंभीर रुप से घायल हो गई थीं। उसके बाद से कैंपस बनाने की मांग तेज हो गई थी। उन्होंने दिल्ली में भी इसका विरोध किया था। अब सरकार ने इन्हें जयपुर कैंपस में भेजने का फैसला किया है।