भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौजूदा अर्थव्यवस्था की धीमी होती रफ्तार को लेकर चिंता व्यक्त की और इसमें वृद्धि के लिए ठोस मौद्रिक नीति अपनाने की जरूरत पर जोर दिया है। यह बातें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन से छह जून के बीच हुई मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में कहीं।
इस समीक्षा बैठक के बाद ही रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। आरबीआई ने हाल ही इस बैठक का ब्यौरा जारी किया।
समीक्षा बैठक के विवरण के मुताबिक गवर्नर दास ने कहा कि अप्रैल 2019 में नीतिगत दरों में की गई कटौती के बाद वृहद आर्थिक परिस्थितियां अधिक स्पष्ट हुईं। उन्होंने कहा कि ‘कुल मिलाकर वृद्धि की धारणा कमजोर पड़ रही है। उन्होंने कहा कि पिछली दो नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के बावजूद भी वर्ष 2019—20 में खुदरा मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत दायरे से नीचे रहने का अनुमान है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें एक निर्णायक मौद्रिक नीति अपनाने की आवश्यकता है। ऐसे में मेरा मत है कि रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती की जानी चाहिए।’ उन्होंने बैठक में मौद्रिक नीति के प्रति नजरिया तटस्थ के स्थान पर नरम रूख को अपनाने का भी समर्थन किया। इस समीक्षा बैठक से इस बात के स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि वृद्धि को बढ़ाने के लिए भविष्य में और ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
इन्हीं बातों को ध्यान रखते हुए रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में लगातार तीसरी बार रेपो दर 0.25 फीसदी की कटौती की है। इस प्रकार अब तक जनवरी 2019 से लगातार तीन कटौतियों के बाद रेपो दर में 0.75 फीसदी की कटौती की जा चुकी है।
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समिति के सदस्य और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की तस्वीर मिलीजुली है। गत दो तिमाहियों में इसकी रफ्तार मुख्य तौर पर धीमी रही है। साथ ही कुछ अन्य जोखिम भी हैं जिसमें मानसून की कमी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘मेरे अंतर्द्वंद के बावजूद कुछ हिचकिचाहट के साथ मैं नीतिगत दर को छह प्रतिशत से घटाकर 5.75 प्रतिशत करने के पक्ष में मतदान करता हूं।’
मौद्रिक नीति समिति के एक अन्य सदस्य कार्यकारी निदेशक माइकल देबव्रत पात्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति के मुख्य लक्ष्य के आगे चुनौतियां नरम हो रही हैं। समिति के अन्य तीन सदस्य रविंद्र एच. ढोलकिया, पामी दुआ और चेतन घाटे ने भी नीतिगत दर को घटाने के पक्ष में अपना मतदान किया।