बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए जो लोकसभा और विधानसभाओं में विपक्ष पर महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के बिल को रोकने का आरोप लगाता रहा है उन्होंने खुद ने महिलाओं को टिकट बांटने की बारी आई तो टोकन का सहारा लिया है।
एनडीए द्वारा 23 मार्च को जारी की गई सूची के अनुसार सिर्फ तीन महिला उम्मीदवारों को राज्य में लोकसभा टिकट दिया गया है। जिसमें एक भाजपा एक जद (यू) और लोजपा को दी गई है।
राजद, कांग्रेस, आरएलएसपी, एचएएम (एस) और पूर्व बॉलीवुड सेट डिजाइनर मुकेश साहनी की वीआईपी वाले विपक्षी ग्रैंड अलायंस ने अब तक चुनावों के लिए सिर्फ नौ उम्मीदवारों का नाम लिया है।
40 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव 11 अप्रैल और 19 मई के बीच बिहार में सात चरणों में होंगे। सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) ने कविता सिंह को सीवान सीट से चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने रामा देवी को शिवहर सीट से उम्मीदवार बनाया है।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की वीणा सिंह वैशाली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। 2014 में भी, एनडीए ने महिलाओं को तीन टिकट दिए थे जिसमें भाजपा ने दो और एलजेपी ने एक टिकट दिया था। जबकि जद (यू) उस वक्त भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा नहीं था और महिलाओं के लिए दो सीटें आवंटित कीं।
भाजपा ने पिछले आम चुनाव में राज्य में 30 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि जदयू ने दो सीट छोड़कर सभी पर उम्मीदवार उतारे थे।
एनडीए में सीट-बंटवारे की व्यवस्था के अनुसार भाजपा और जद (यू) दोनों ही 17 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिसमें छह निर्वाचन क्षेत्र लोजपा के पास हैं।
पार्टियों ने अपने बचाव में दावा किया कि महिलाओं को अपने उम्मीदवारों की सूची में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला क्योंकि वे इस बार कम सीटों पर चुनाव लड़ रही थी।
भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष देवेश कुमार ने कहा कि पार्टी “महिलाओं को सशक्त बनाने” में विश्वास करती है लेकिन राज्य में सीट-बंटवारे की व्यवस्था ने उन्हें एक विकल्प के रूप में नहीं छोड़ा।
आगे उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि चुनावों में महिलाओं को अधिक टिकट दिया जाना चाहिए, लेकिन चूंकि हम पिछली बार की तुलना में इस बार कम सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए हमें कई कारकों को ध्यान में रखना होगा। केंद्र में भाजपा सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने में विश्वास करती है। एक व्यक्ति यह स्पष्ट रूप से देख सकता है कि महिलाएं केंद्र विदेश मामलों (सुषमा स्वराज) और रक्षा (निर्मला सीतारमण) में महत्वपूर्ण विभाग संभाल रही है। हमारी लोकसभा अध्यक्ष (सुमित्रा महाजन) एक महिला हैं।
इसी तरह की भावनाओं को देखते हुए, जद (यू) के प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि पार्टी के लिए इस बार अधिक महिलाओं को समायोजित करना मुश्किल था क्योंकि पार्टी राज्य में सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी।
जदयू प्रवक्ता ने बिहार में नीतीश कुमार सरकार द्वारा महिलाओं के हित में लिए गए फैसलों को भी सूचीबद्ध किया जैसे कि शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण और सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण। हमारी पार्टी महिलाओं के आरक्षण बिल की मजबूत मतदाता रही है। अगर बिल पास हो जाता है, तो पार्टियों के लिए महिलाओं को टिकट देना अनिवार्य हो जाएगा।
दो क्षेत्रीय दलों ने इस बार महिलाओं को टिकटों के वितरण में पुराने टोकन से बाहर का रास्ता दिखाया है। पश्चिम बंगाल में, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आम चुनाव के लिए 41 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और ओडिशा में बीजू जनता दल ने अपने 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं के लिए आरक्षित किए हैं।