दीवाली के पांच दिनों के पारम्परिक त्यौहारों की शुरूआत हो चुकी है। धनतेरस का दिन कई मायनों में खास होता है, वहीं खरीददारी करने के लिए ये दिन खास तौर पर शुभ माना जाता है। वैसे आपको बता दें कि आज का दिन धन्वन्तरी जयंती या राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
धनतेरस पर क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस :-
दरअसल भगवान धन्वंतरी को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है। वहीं आयुर्वेद सालों से हमारे अच्छे स्वास्थ्य में अपनी भूमिका निभाता आ रहा है। ऐसे में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए धन्वन्तरी जयंती का खास दिन आयुर्वेद दिवस के रूप में चुना गया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुरुआत साल 2016 में धनतेरस के दिन हुई थी।
धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं बर्तन :-
भगवान धन्वंतरी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। जिनकी चार भुजाओं में से दो में वो शंख और चक्र धारण किये हुये हैं, जबकि अन्य दो भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। भगवान धन्वंतरी का प्रिय धातु पीतल माना जाता है इसलिए धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी, इसलिए आयुर्वेद की चिकित्सा करनें वाले वैद्य इन्हें आरोग्य का देवता कहते हैं।
इस बार क्या होगा खास :-
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में आयुष मंत्रालय ने नीति आयोग के साथ मिलकर आयुर्वेद में उद्यमिता और व्यापार विकास पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया है। नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह का उद्देश्य आयुर्वेद क्षेत्र से जुड़े हितधारकों और उद्यमियों को कारोबार के नए अवसरों के प्रति जागरूक करना है।