अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने बृहस्पति (जुपिटर) ग्रह के उपग्रह यूरोपा पर पानी खोज निकाला है। पृथ्वी के अलावा ब्रह्माण्ड के किसी अन्य ग्रह पर पानी देखने को नहीं मिला है। वैज्ञानिकों ने पाया कि बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा के बर्फीली सतह पर पानी भाप के फव्वारे के रूप में निकल रहा है।
नासा के वैज्ञानिकों को पृथ्वी के अलावा अन्य उपग्रह पर पहली बार पानी देखने को मिला है जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यूरोपा पर मिले पानी के साक्ष्य की मौजूदगी देखकर उनके हौंसले बुलंद हो गए हैं। उनको अध्ययन में पानी के मॉलीक्यूल मिले हैं। इस उपग्रह पर वैज्ञानिकों को अभी तक तरल पानी का पता नहीं चला है, बल्कि उन्हें वाष्प के रूप में पानी मिला है।
बृहस्पति के सबसे अधिक चंद्रमा
सूर्य के सभी ग्रहों में बृहस्पति ग्रह के छोटे—बड़े 79 चंद्रमा हैं। उनमें से एक यूरोपा है। ये चंद्रमा उसके चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। हमारी पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है।
अमेरिका के हवाई द्वीप पर स्थित दुनिया की सबसे बड़ी और शक्तिशाली टेलिस्कोप से नासा के वैज्ञानिकों ने जुपिटर के चंद्रमा यूरोपा की सतह पर इस घटना को देखा तो वे हैरान रह गए। उन्हें यूरोपा की सतह पर से भाप के फव्वारे निकलते दिखाई दिए।
हर सेकंड निकल रहा 2 हजार किलो से अधिक पानी
सौरमंडल के ग्रह बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा की सतह से प्रति सेकंड करीब 2360 किग्रा पानी निकल रहा है। जैसे यह पानी वातावरण के संपर्क में आता है भाप बनता जा रहा है। इस बात की पुष्टि पहले वॉयजर यान ने वर्ष 1979 में की। इसके बाद वर्ष 1990 में गैलीलियो ने भी इस बात की पुष्टि की। अगले वर्ष 2020 में भी नासा ने यूरोपा क्लिपर नामक यान भेजने की तैयारी कर रहा है।
इस मिशन में शामिल नासा के वैज्ञानिक नूकास पगानिनी ने बताया कि यूरोपा पर प्रति सेकंड इतना पानी निकल रहा है कि यह कुछ ही मिनटों में ओलम्पिक स्वीमिंग पूल को भर सकता है। यह अध्ययन हमने वर्ष 2016 से 2017 के मध्य अलग—अलग 17 रातों तक किया है। तब जाकर अध्ययन की पूरी रिपोर्ट तैयार की है।