अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर एक ट्वीट किया है। नासा ने ट्वीट कर बताया कि उसके चांद की परिक्रमा कर रहे सैटेलाइट लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया है। आपको बता दें कि इसरो ने चंदयान-2 के विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराते समय कुछ सेकेंड पहले ही उससे संपर्क टूट गया था।
नासा के दावे के अनुसार चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला। नासा ने घटना के पहले और बाद की तस्वीरें भी पोस्ट कीं, जिनसे चांद की सतह पर लैंडर के टकराने के बाद हुए असर के बारे में मालूम होता है। मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2×2 पिक्सेल के हैं।
The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
उसके मुताबिक लैंडर की तस्वीर एक किलोमीटर की दूरी से ली गई है। इस तस्वीर में लैंडर के गिरने से चांद की मिट्टी को होने वाले प्रभाव को दिखाया गया है। जानकारी मिलने के बाद इसरो ने नासा से संपर्क साधा है और लैंडर के इम्पैक्ट साइट की जानकारी मांगी है।
नासा ने पहले भी किया था प्रयास
नासा ने इससे पहले उसके चांद की सतह पर चक्कर लगा रहे सैटैलाइट एलआरओ को 17 सितंबर को विक्रम की लैंडिंग साइट से गुजरा था और उस क्षेत्र की हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें खींची थी। लेकिन उसकी टीम को लैंडर की स्थिति या तस्वीर नहीं मिल पाई थी। इस पर नासा ने कहा था, कि ‘जब लैंडिंग क्षेत्र से हमारा ऑर्बिटर गुजरा तो वहां धुंधलका था और इसलिए छाया में अधिकांश भाग छिप गया। संभव है कि विक्रम लैंडर परछाई में छिपा हुआ है। एलआरओ जब अक्टूबर में वहां से गुजरेगा, तब वहां प्रकाश अनुकूल होगा और एक बार फिर लैंडर की स्थिति या तस्वीर लेने की कोशिश की जाएगी।’
इसके बाद अक्टूबर महीने की शुरुआत में विक्रम लैंडर के उतरने का नासा के एलआरओ द्वारा ली गई तस्वीरों में लैंडर दिखाई नहीं दिया था। इसके बाद 2 दिसंबर की रात नासा ने यह जानकारी दी कि उसे विक्रम लैंडर मिल गया है।
चंद्रयान-2
भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान—2 22 जुलाई को चंद्रमा पर भारी रॉकेट, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हिकल-मार्क 3 से भेजा गया था। इस मिशन की लागत 978 करोड़ रुपए थी। चंद्रयान-2 के तीन भाग थे, जिसमें ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड), और प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड) थे।