चुनाव खत्म होते ही NaMo TV का अचानक गायब होना कई सवाल खड़े करता है !

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लोकसभा चुनावों की शुरुआत से ठीक पहले NaMo TV सामने आया। जिस पर सिर्फ पीएम मोदी के इंटरव्यू, लाइव रैलियां और अन्य भाजपा कार्यक्रम दिखाए जाते थे। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी संचालित इस चैनल को विपक्षी दलों ने भाजपा की ‘प्रचार मशीन’ कहा।

डीटीएच ऑपरेटर जैसे टाटा स्काई, वीडियोकॉन और डिश टीवी सभी ने NaMo TV को फ्री-टू-एयर चैनल के रूप में प्रसारित किया, जिसका मतलब है कि ग्राहकों से इस चैनल को देखने के लिए कुछ भी पैसा नहीं लिया गया। ज्ञातव्य है कि यह चैनल 2019 के लोकसभा चुनावों में हर चरण की वोटिंग के दौरान ऑन-एयर रहा।

जब इस मुद्दे को चुनाव आयोग के संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी जिसने मामले को और पेचीदा बना दिया। मंत्रालय के अनुसार, NaMo TV एक विज्ञापन आधारित प्लेटफ़ॉर्म है जिसे कई डायरेक्ट टू होम ऑपरेटरों द्वारा दिखाया जाता है। इसका खर्चा भारतीय जनता पार्टी वहन करती है।

इसके अलावा मंत्रालय ने चैनल की वैधता  पर जवाब दिया कि चूंकि NaMo TV एक पंजीकृत चैनल नहीं है इसलिए इसे किसी भी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

अप्रैल में, चुनाव आयोग ने यह निर्देश जारी किए थे कि NaMo टीवी पर दिखाए जाने वाले सभी रिकॉर्ड किए गए कार्यक्रम पहले आयोग से प्रमाणित करवाएं जाएं। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद, दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भाजपा को यह निर्देश जारी किए कि वह अपने प्रमाणन के बिना NaMo TV पर किसी भी सामग्री को प्रसारित ना करें।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी 2019 के चुनाव के लिए मतदान समाप्त होने के बाद चुनाव आयोग पर हमला करते हुए NaMo TV का जिक्र किया था।

NaMo TV के अब गायब हो जाने के कारणों को चुनावों के पूरा होने से जोड़ा जा रहा है। चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि NaMo TV का विचार सरकार के कामकाज को प्रचारित करना और टीवी के जरिए लोगों तक पहुंचाना था जिससे संभवतः पार्टी को अधिक वोट मिल सकते थे। अब जब चुनाव समाप्त हो गए हैं,तो इस तरह के चैनल की कोई जरूरत नहीं है।

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