देश में 17वीं लोकसभा के लिए होने वाले आम चुनाव में अब कुछ ही महीने और शेष रह गए हैं। हालांकि अभी तक निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि इस बार भी अप्रैल-मई माह में लोकसभा चुनाव करवाए जा सकते हैं। जल्द ही निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर देगा। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल जून में समाप्त होने जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई थी। अब 2019 के आम चुनाव में बीजेपी और मोदी का रथ रोकने के लिए विपक्ष मज़बूत महागठबंधन का दावा तो कर रहा है लेकिन, असल में यह कितना मज़बूत है यह कहना फिलहाल तो मुश्किल लगता है। लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के बयानों से यह फ़र्क करना आसान नहीं रह गया है कि बयान राजनीतिक फायदे के लिए दिया या सच्चाई बयान की है।
मुलायम सिंह यादव के बयान का क्या मतलब निकाला जाए समझना मुश्किल
बुधवार को 16वीं लोकसभा के अंतिम दिन सदन में समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपने संबोधन में कहा कि ‘मैं चाहता हूं, मेरी कामना है कि जितने सदस्य हैं दोबारा जीतें। मैं ये भी चाहता हूं, हम लोग तो बहुमत से नहीं आ सकते हैं, प्रधानमंत्री जी आप फिर बनें प्रधानमंत्री।’ यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बराबर और विपक्षी दलों की बेंच पर बैठे मुलायम सिंह ने नरेन्द्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने का बयान देकर समूचे विपक्ष को मुश्किल में डाल दिया। मुलायम सिंह के इस तरह के बयान से हर कोई आश्चर्यचकित है। उनके बयान के क्या राजनीतिक मायने है, यह कहा नहीं जा सकता। दरअसल, समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल है। यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है। सपा-बसपा ने यूपी में दो सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारने की पहले ही घोषणा कर दी है। अमेठी और रायबरेली इन दोनों लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगा। ये दोनों सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई हैं।
क्या मुलायम सिंह के इस बयान का लोकसभा चुनाव में असर होगा
देश में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाला राज्य है। यहां लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में मतदाताओं पर अच्छी पकड़ रखने वाली समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव का यह बयान देना कि 2019 में एक बार फिर मोदी ही प्रधानमंत्री बने, चौंकाता जरूर है। क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा समाजवादी पार्टी भी है। ऐसे में यूपीए महागठबंधन के बड़े नेता का इस तरह का बयान देना महागठबंधन के सत्ता वापसी के दावों को खोखला बता रहा है। मुलायम सिंह के रिश्तेदार और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मुलायम के बयान पर कहा कि उनकी उम्र अधिक हो गई है। ऐसे में मुलायम सिंह के बयानों के कोई मायने नहीं है।
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इधर, बीजेपी नेता और बिहार के पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से आयोजित ‘तानाशाही हटाओ, लोकतंत्र बचाओ सत्याग्रह’ रैली में शामिल हुए। विपक्षी दलों की इस रैली में बीजेपी सांसद का पहुंचना भी चौंका रहा है। वहीं, रैली में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं पूरी दुनिया के भगवान है।
शत्रुघ्न सिन्हा इससे पहले पिछले महीने कोलकाता में ममता बनर्जी की ओर से आयोजित विपक्ष की रैली में शामिल हुए थे। तब शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा था, ‘सच कहना अगर बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं। मैं सच के साथ सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकता।’ राजनीति में नेताओं के इस तरह के बयान कोई नए नहीं है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि वर्तमान में दिए गए बयान का दुरगामी अर्थ निकलता है।