दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद ही दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिकों ने इससे बचाव के लिए वैक्सीन बनाने की शुरुआत कर दी थी। महज साल भर के भीतर ही वैज्ञानिकों ने कई ऐसी वैक्सीन उपलब्ध करा दीं, जिसे कोरोना से लड़ाई में प्रभावी पाया गया। कोरोना की ये वैक्सीन अनेक तरह की तकनीक पर आधारित हैं, जिसमें कोई वेक्टर आधारित वैक्सीन है तो कोई एमआरएनए। कोविड के सामने आने से पहले अधिकांश लोगों ने एमआरएनए टीकों के बारे में कभी नहीं सुना था। कोरोना खिलाफ फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना ने एमआरएनए टीके पेश किए।
कैंसर के मरीजों पर वैक्सीन का ट्रायल दूसरे चरण में पहुंचा
हालिया अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एमआरएनए वैक्सीनेशन की यह तकनीक कोविड-19 के साथ कैंसर के रोगियों के उपचार में भी कारगर साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों ने एमआरएनए तकनीक पर आधारित कैंसर की वैक्सीन तैयार करनी शुरू कर दी है। इस बारे में जून में घोषणा करते हुए जर्मन बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोएनटेक बताया था कि वैज्ञानिकों नें एमआरएनए तकनीक पर आधारित कैंसर की वैक्सीन बीएनटी111 तैयार की है। कैंसर के मरीजों पर इस वैक्सीन का ट्रायल दूसरे चरण में पहुंच गया है।
निश्चित प्रोटीन को पहचानने के लिए प्रशिक्षित करने की क्षमता
कैंसर रोगियों के लिए तैयार की जा रही एमआरएनए वैक्सीन को लेकर कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में सहायक प्रोफेसर अन्ना ब्लैकनी कहते हैं, एमआरएनए वैक्सीन जिस तरह से सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ काम करती है, उसी तरह एमआरएनए कैंसर वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं की सतह पर एक निश्चित प्रोटीन को पहचानने के लिए प्रशिक्षित कर सकती है। एमआरएनए कैंसर वैक्सीन के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली को उन कोशिकाओं पर हमला करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जो इस तरह की हानिकारक प्रोटीन का उत्पादन करती हैं।
कैंसर कोशिकाओं को पहचानने में मिलेगी मदद
दुनियाभर में कैंसर से हर साल लाखों की संख्या में मौतें होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2020 में पूरी दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा लोगों की कैंसर से मौत हुईं। लोगों में कैंसर के खतरे को कम करने के लिए इस वैक्सीन को विकसित करने पर काम किया जा रहा है। टेक्सास में ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल में आरएनए चिकित्सीय कार्यक्रम के चिकित्सा निदेशक जॉन कुक कहते हैं, यह वैक्सीन मूल रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करके कैंसर कोशिकाओं को पहचानने के लिए विकसित की जा रही है।
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