महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने नवनीत राणा के जाति प्रमाण-पत्र को निरस्त करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी किया है। न्यायाधीश विनित शरण और न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने 8 जून के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 जून को होगी।
हाईकोर्ट ने जाति प्रामाण-पत्र को दिया था फर्जी करार
बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जाति प्रमाण-पत्र को निरस्त करने के फैसले को सांसद नवनीत कौर राणा ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने नवनीत राणा के जाति प्रामाण-पत्र को फर्जी करार दिया था। साथ ही अदालत ने अपने फैसले में नवनीत पर दो लाख का जुर्माना भी लगाया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सांसद राणा को छह हफ्ते के भीतर सभी प्रमाण-पत्र जमा करने के लिए कहा। बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के कारण नवनीत कौर राणा की लोकसभा सदस्यता खतरे में पड़ गई थी।
शिवसेना नेता ने फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का लगाया था आरोप
अमरावती सांसद नवनीत कौर राणा पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल कर लोकसभा चुनाव लड़ा था। नवनीत ने साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अमरावती (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट) पर शिवसेना के उम्मीदवार आनंदराव अडसुल को हराया था। आनंदराव की ही याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले दिनों नवनीत राणा के जाति प्रमाण-पत्र को रद्द कर दिया था। नवनीत कौर के माता-पिता मूलतः पंजाब राज्य से थे।
शिवसेना नेता पर धमकी देने का लगाया था आरोप
जानकारी के लिए बता दें कि मॉडल और अभिनेत्री नवनीत कौर राणा ने वर्ष 2014 में राजनीति में एंट्री ली थी। उन्होंने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गई थीं। उसके बाद वह साल 2019 के आम चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंची। मालूम हो कि कुछ महीने पहले नवनीत कौर राणा ने एक शिवसेना नेता पर जेल में डालने की धमकी देने का आरोप लगाया था। इसको लेकर नवनीत कौर राणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी भी लिखी थी।
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