सरकारी तंत्र के फेल होने पर आपने मंत्रियों को झूठ बोलते देखा होगा, गोलमोल जवाब देते देखा होगा और सवालों से भागते तो जरूर देखा होगा, लेकिन आज हम आपको कुछ अलग स्वाद चखाते हैं। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कॉन्फिडेंस और बेशर्मी का बेस्ट कॉम्बो।
बीच-बीच में कुछ लॉजिक की भी हत्या होगी उसे इग्नोर किया जा सकता है। किसी फूड रेसिपी टाइप फीलिंग आने से पहले मुद्दे पर चलते हैं।
मध्य प्रदेश में फिलहाल कमलनाथ सरकार है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का जिम्मा इमरती देवी के हाथों हैं। मंत्री जी के पास शिकायत आई कि करैरा के एक आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों के लिए पकने वाला मिड-डे मील का खाना एक टॉयलेट में बनाया जा रहा है। टॉयलेट की सीट पर गैस और चूल्हा रखा हुआ है।
इस पर मंत्री जी ने जो जवाब दिया वो देसी और वेस्टर्न दोनों टॉयलेट वालों को हैरान कर देगा। मंत्री जी ने कहा “अगर टॉयलेट-सीट और स्टोव के बीच में एक कवर है तो वहां खाना पकाने में कोई समस्या नहीं है”।
इसके आगे बोलते हुए इमरती देवी ने कहा आपको यह समझना चाहिए कि वहां एक विभाजन (सीट कवर) वहां मौजूद है, इन दिनों हमारे घरों में भी हम लैट्रीन-बाथरूम अटैच रखते हैं।
अगर हमारे रिश्तेदार हमारे घर में खाने से मना कर दें तो आप उनसे क्या कहेंगे ? कॉन्फिडेंस से लबालब मंत्री जी ने सामने से सवाल पूछ लिया, वो भी एकदम बेतुका। आखिर में मंत्री ने कहा कि फिर भी हम इस मामले की जांच करवाएंगे।
वहीं मामले के तूल पकड़ते ही अधिकारियों ने कहा कि खाना बनाने का जिम्मा एक स्वं सहायता समूह का है। वो टॉयलेट का इस्तेमाल रसोई के लिए कर रहा है। हम इस मामले में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
आखिर में मालूम हो कि आंगनवाड़ी केंद्र गांवों में बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल और बेसिक शिक्षा सुविधाएं देते हैं। यह पब्लिक हैल्थ केयर सिस्टम का ही एक हिस्सा है।