भारतीय पर्वतारोही सत्यरूप सिद्धांत पापुआ न्यू गिनी में सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट गिलुवे की चढ़ाई करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। सत्यरूप 9 नवंबर को पापुआ न्यू गिनी में 4,367 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचे। सत्यरूप अब तक 7 में से 5 ज्वालामुखी शिखरों की चढ़ाई कर चुके हैं। अगले कुछ दिन में बंगाल के गौरव सत्यरूप पापुआ न्यू गिनी में नए पर्वत शिखर की चढ़ाई शुरू करेंगे।
सत्यरूप ने चढ़ाई पूरी करने के बाद कहा, ‘माउंट गिलुवे की सफलतापूर्वक चढ़ाई करने के बाद मैं काफी खुश हूं। मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता कि जब मैं सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर पहुंचा तो मैं टॉप ऑफ द वर्ल्ड महसूस कर रहा था। मेरा अगला लक्ष्य माउंट विल्हम है और मैं पर्वत शिखर की चढ़ाई पूरी करने के प्रति प्रतिबद्ध हूं। मेरे साथी देशवासियों की शुभकामनाएं मुझे हमेशा प्रोत्साहन देती रहती हैं। इन पर्वत शिखरों की चढ़ाई के साथ मैं नौजवानों में एडवेंचर स्पोर्ट्स को लोकप्रिय बनाना चाहता हूं।’
माउंट पीको डी ओरिजाबा अगला कदम
सत्यरूप दिसंबर में छठे ज्वालामुखी पर्वत मैक्सिको के माउंट पीको डी ओरिजाबा की चढ़ाई शुरू करेंगे और उसके बाद वो माउंट सिडले की चढ़ाई के लिए अंटार्कटिका जाएंगे। इस साल सितंबर में सत्यरूप सिद्धांत और मौसमी खाटुआ एशिया के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर्वत माउंट दामावंद पर तिरंगा लहराने में कामयाब रहे थे। वो ये उपलब्धि हासिल करने वाले पहले बंगाली हैं। माउंट दामावंद ईरान में सबसे ऊंचा ज्वालामुखी पर्वत है और संभावित रूप से सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।
बना सकते हैं इतिहास
सत्यरूप 5 ज्वालामुखी पर्वतों की चढ़ाई पूरी करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। वो माउंट सिडले की चढ़ाई पूरी करने वाले पहले भारतीय हैं। अगर वो इसे जनवरी में पूरी करने में कामयाब हो जाते हैं तो वो सात पर्वत शिखरों और 7 ज्वालामुखी पर्वतों की चढ़ाई वाले पहले भारतीय होंगे।