बाल दिवस के दिन अधिकारियों की खुली पोल, 8 हज़ार से ज्यादा बच्चे शिक्षा की मुख्यधारा से दूर

Views : 4279  |  0 minutes read
education in haridwar

बुधवार को पूरे देश ने अपने पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन मनाया, जिसे बाल दिवस के रूप में सैलिब्रेट किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ हाल ही में जारी एक सर्वे में सामने आया कि धर्मनगरी के रूप में विख्यात हरिद्वार जनपद में छह से 17 वर्ष तक के आठ हजार 165 बच्चे अब तक शिक्षा की मुख्यधारा से दूर हैं।

जानकारी के अनुसार नीति आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि सहित कई आयामों पर कुछ सर्वें किए हैं, जिसमें हरिद्वार को अति पिछड़े जिलों में शामिल किया गया है। इस सर्वे ने शासन और प्रशासन के सभी दावों और योजनाओं की पोल खोल दी है। सर्वे में पाया गया कि ये सभी बच्चे गरीबी सहित विभिन्न कारणों की वजह से स्कूल जाना छोड़ चुके हैं।

child education
child education

बता दें कि शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार ने बालिका कल्याण, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, सर्वशिक्षा अभियान, साक्षर भारत मिशन सहित विभिन्न योजनाएं शुरू की थीं। विभिन्न क्षेत्रों में अधिकारियों को दायित्व सौंपे गए थे और इन योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। हालांकि इसके बाद हरिद्वार में शिक्षा का स्तर काफी हद तक ऊपर भी उठा था।

वहीं हाल ही में जारी नीति आयोग की रिपोर्ट के आंकड़े देखकर विभाग भी चौंक गया। ऐसे में अब शिक्षा विभाग ने बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि हरिद्वार की फ्लोटिंग जनसंख्या इसका एक मुख्य कारण हो सकता है। मगर यह तो साफ है कि इस तरह के आंकड़ों को बदल पाना विभाग के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।

NITI-Aayog

ब्लॉक में ड्रापआउट बच्चों की संख्या :
बहादराबाद 3417
भगवानपुर 2530
खानपुर 374
लक्सर 686
नारसन 155
रुड़की 1003

फ्लरेटिंग जनसंख्या है मुख्य कारण :

तीर्थस्थल होने और विशाल औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण हजारों लोग रोजी रोटी की तलाश में हरिद्वार आते हैं। यहां के सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला भी कराते हैं, लेकिन कुछ समय बाद कई लोग हरिद्वार छोड़कर रोजी रोटी के लिए किसी अन्य जनपद या प्रदेश चले जाते हैं। इससे ये अपने बच्चों के नाम भी स्कूल से कटवा लेते हैं। हालांकि ड्रापआउट बच्चों में अल्पसंख्यक ज्यादा शामिल हैं।

COMMENT