गणपति बप्पा मोरया, पुरचा वर्सी लोकरया। गणेश चतुर्थी पर पूरा देश ऐसे ही जयकारे लगा रहा है। आज जब मुंबई के प्रसिद्ध लाल बाग के राजा की थीम देखी तो अच्छा लगा। लाल बाग के राजा को इस बार चंद्रयान—2 की थीम पर सजाया गया है। इस थीम को देखकर लग रहा है कि गणपति बप्पा चांद पर पहुंच गए। यहां चंद्रयान का विक्रम लैंडर भी है। रॉकेट भी है और बप्पा चांद पर विराजे हैं।
गणेश जी को चांद पर पहुंचा दिया अब दर्शन कैसे करोगे?
मगर ये एक थीम ही है। भारत चांद पर पहुंच गया। गणपति भी पहुंचा दिए मगर हम अभी वहीं हैं जहां थे। आप सोच रहे होंगे क्यो भाई? चंद्रयान वाले बप्पा के साथ चांद जुड़ी एक और खबर पढ़ी हमने। ‘गणेश चतुर्थी के दिन भूलकर भी चांद ना देखें’। इस हैडिंग को देखकर मन में आया अरे क्यों न देंखे? तो खबर में अंदर बताया गया था कि गणेश चतुर्थी पर अगर चांद देख लें तो झूठा कलंक लग जाता है। हवाला दिया गया था श्रीकृष्ण का। वो भगवान थे मगर उन्होंने बस गणेश चतुर्थी का चांद देख लिया था। होना क्या था उन पर भी कलंक लग गया।
क्या है मान्यता
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है भगवान गणेश ने चांद को एक बार श्राप दिया था, उन्होंने कहा था कि चतुर्थी के दिन जो भी तुझे देखेगा उस पर कलंक लगेगा। तब से लोग चतु्र्थी का चांद नहीं देखते। गणेश पुराण के अनुसार एक बार की बात है जब श्री कृष्ण ने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चांद देख लिया था, जिसके बाद उन पर हत्या का झूठा आरोप लगा। श्रीकृष्ण को बाद में नारद मुनि ने ये बताया कि ये कलंक उन पर इसलिए लगा है क्योंकि उन्होंने चतुर्थी के दिन चांद देख लिया।
इन मान्यताओं पर दोबारा विचार कर लें
ये कहानी हमने सालों से सुनी है। शर्त लगा लीजिए हमसे कई लोग तो ऐसे हैं जो बाकी दिन चांद देखें या नहीं गणेश चतुर्थी पर जरूर देख लेते हैं गलती से। अच्छा हुआ चंद्रयान-2 चांद पर 7 को पहुंचेगा। अगर वो गणेश चतुर्थी पर पहुंच जाता तो उसके भी कोई कलंक लग सकता था। ये बात अपने आप में गहरी है हमें सोचना होगा कि चांद पर पहुंचकर क्या हमें ऐसी रूढिवादी मान्यताओं को फॉलो करना चाहिए या नहीं?