आखिर क्यों कहा मोइन अली ने कि स्लेजिंग रोकने के लिए स्टंप माइक की आवाज बढ़ा देनी चाहिए

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क्रिकेट में अक्सर देखा जाता है कि एक टीम द्वारा दूसरी टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन को प्रभावित करने के लिए ‘स्लेजिंग’ की जाती है ताकि बल्लेबाज खिलाड़ी उकसा कर खराब शॉट खेलने के लिए मजबूर कर सके। हाल ही में इंग्लैण्ड के खिलाफ टेस्ट मैच में भी ऐसा देखने को मिला, जोकि खेल भावना को ठेस पहुंचाता है।

स्लेजिंग रोकने के पक्ष में इंग्लैंड के ऑलराउंडर खिलाड़ी मोइन अली ने वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज शेनन गेब्रियल द्वारा समलैंगिकता (गे) पर की गई टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि मैच के दौरान स्टंप माइक की आवाज और बढ़ा देनी चाहिए ताकि ऐसे खिलाड़ियों को पकड़ा जा सके।

इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने उन पर चार मैचों का प्रतिबंध लगाया।
इस विवाद के बाद फिर से एक बार स्लेजिंग पर बहस शुरू हो गई और लोगों की राय सामने आई। जहां कुछ लोग स्टंप माइक की आवाज कम करने का आग्रह कर रहे हैं वही कुछ स्टंप माइक आवाज को बढ़ाने की बात कह रहे हैं।

ईएसपीएन ने मोइन के हवाले से बताया, “अब समय आ गया है कि लोग अच्छा बर्ताव करें। स्टंप माइक की आवाज बढ़ा दी जाए। उसे कम करने की क्या जरूरत है? ताकि लोग अभद्र भाषा का उपयोग कर सकें? व्यतिगत बयानबाजी की कोई आवश्यकता नहीं है।”

मोइन ने कहा, “यह बुरा है क्योंकि शेनन एक अच्छा और शांत आदमी है लेकिन समाज इसी तरह का है। लोगों के मुंह से चीजें बाहर आ जाती है। आप इससे बचकर नहीं निकल सकते। आपको सचेत रहना होगा।” उन्होंने यह भी माना कि स्टंप माइक के जरिए मनोरंजक चीजें भी रिकॉर्ड हो सकती हैं, जैसा की भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हुई सीरीज में हुआ।

स्लेजिंग क्या है

अगर अपनी भाषा में समझे तो स्लेजिंग का मतलब है ऐसे अपशब्द बोलना कि आपका विपक्षी कुछ गलत करने को मजबूर हो जाए। ऐसा क्रिकेट में खूब देखने को मिलता है। जिसका इस खेल में इस्तेमाल कर कुछ खिलाड़ी विपक्षी खिलाड़ी को अपमानित या उत्तेजक शब्द या मौखिक तौर पर धमका कर खराब शॉट खेलने के लिए मजबूर कर देता है, जिसका फायदा खुद को तो मिलता ही है साथ ही टीम को भी।

ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी की एकाग्रता को भंग करने की कोशिश करना है, जिससे बल्लेबाज अपना आपा खो देता है और गलती या कमजोर प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाता है।

ऐसा करने से उन्हें लाभ तो मिलता है पर कभी-कभी उन्हें भारी भी पड़ जाता है। इस तरह का अपमान प्रत्यक्ष तौर पर किया जा सकता है, या क्षेत्ररक्षक बल्लेबाज को सुनाने के उद्देश्य से उंची आवाज में आपस में बातचीत द्वारा भी ऐसा करते हैं।

स्लेजिंग की शुरूआत कब से हुई
ऑस्ट्रेलियाई पूर्व खिलाड़ी इयान चौपल के मुताबिक, एक शब्द के तौर पर ‘स्लेजिंग (अपशब्द कहने की प्रवृत्ति)’ के इस्तेमाल की शुरुआत एडीलेड ओवल में शेफील्ड शील्ड प्रतियोगिता में 1963 या 1964-65 के दौरान हुई थी।

स्लेजिंग के वो किस्से जिनमें यह घटना हुई

विवियन रिचर्ड्स ने दिया बल्ले से ऐसा जबाव


दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में शुमार वेस्ट इंडीज़ के पूर्व बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स के खिलाफ किसी भी गेंदबाज की हिम्मत नहीं होती थी, क्योंकि वे अपशब्द कहने की हिम्मत करने वाले गेंदबाजों को सबक सिखाने के लिए मशहूर थे।

रिचर्ड्स का गेंदबाजों में इतना डर था कि कई कप्तानों ने तो अपने खिलाड़ियों को अपशब्द कहने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हालांकि एक बार ग्लेमोर्गन के खिलाफ एक काउंटी मैच में ग्रेग थॉमस ने रिचर्ड्स को तब अपशब्द कहने की कोशिश की जब वे लगातार कई गेंदों को मारने में नाकामयाब रहे थे।

इस पर थॉमस ने रिचर्ड्स से कहा था- ‘अगर आप हैरान हैं, सोच रहे हों तो आपको बता दूं कि ये लाल रंग की गोल गेंद है और ये करीब पांच आउंस वजनी है।’ रिचर्ड्स ने थॉमस की अगली गेंद पर ऐसा प्रहार किया कि क्रिकेट मैदान के बाहर पास की एक नदी में चली गई। फिर गेंदबाज की ओर घूमते हुए उन्होंने कहा- ‘ग्रेग, चूंकि आप जानते हैं कि ये किस तरह दिखती है, इसलिए अब जाइए और उसे ढूंढ़ कर ले आइए।’

वर्ष 2007-08 में भारतीय क्रिकेट टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरे पर गई थी तब मीडिया की सुर्खी में हरभजन सिंह पर एंड्रू सायमंडस पर कथित तौर पर नस्लीय टिप्पणी करने के आरोप लगे थे।

अगर टी-20, 2007 में हुए भारत और इंग्लैण्ड के बीच हुए मुकाबले में भी ऐसा ही देखने को मिला जिसके बाद युवराज ने लगातार 6 गेंदों पर 6 छक्के लगाए थे।

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