गूगल और सोशल मीडिया पर इन दिनों सबसे ज्यादा ट्रेडिंग हैं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। पीएम मोदी को अभी तक उनकी हिंदूवादी इमेज के लिए जाना जाता है मगर अब देश के मुस्लिम भी मोदी के विचारों से कनेक्ट हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान एक मुस्लिम दंपती ने अपने नवजात बच्चे का नाम मोदी रखकर चर्चा में आ गए थे।
बेंगलुरू में तीन मस्जिदें हैं मोदी के नाम पर
बेंगलुरू में तीन मस्जिद ऐसी हैं जिनका नाम मोदी मस्जिद हैं। बेंगलुरू के टास्कर टाउन में स्थित एक मोदी मस्जिद इस दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। इस मस्जिद की तस्वीर भी चर्चा में आई है। इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित इस मस्जिद का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा गया है। टास्कर टाउन की इस मस्जिद के अलावा दो और मस्जिदें हैं जिन्हें भी मोदी मस्जिद के नाम से ही जाना जाता है। ये मस्जिदें टेनरी रोड के आस-पास स्थित हैं।
वायरल खबर का फिर हुआ फैक्ट चैक
जब मोदी मस्जिद सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो इसका फैक्ट चैक भी होना ही था क्योकिं इन दिनों बहुत सी फेक न्यूज लोगों को बहका रही हैं। इस फैक्ट चैक में पता चला कि इस बात में बिलकुल सच्चाई नहीं है कि इस मस्जिद का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर रखा गया है। पूर्वी बेंगलुरू के टास्कर टाउन की यह मस्जिद 170 साल से मोदी मस्जिद के नाम से ही जानी जा रही है। उसका नाम एक व्यापारी मोदी अब्दुल गफूर के नाम पर पड़ा है। यह मस्जिद राज्य वक्फ बोर्ड के प्रशासन के अंतर्गत आती है।
पिछले दो दशकों से अधिक समय से इस मस्जिद में अपनी सेवाएं दे रहे इमाम गुलाम रब्बानी ने बताया कि “यह मस्जिद लगभग 170 साल पुरानी है और प्रधानमंत्री की उम्र लगभग 69 साल है। पीएम मोदी और इस मस्जिद के बीच कोई संबंध नहीं है।”
1849 के आसपास जब टास्कर टाउन को मिलिट्री और सिविल स्टेशन के रूप में जाना जाता था, वहां एक अमीर व्यापारी मोदी अब्दुल गफूर रहते थे। उन्होंने यहां एक मस्जिद की जरूरत महसूस की और 1849 में इसका निर्माण किया। बाद में मोदी अब्दुल गफूर के परिवार ने बेंगलुरु में कुछ और मस्जिदों का निर्माण किया। यहां तक कि टेनरी क्षेत्र में एक सड़क को मोदी रोड के नाम से जाना जाता है।
मोदी सरकार के शपथ लेने के बाद खुली ये मस्जिद
2015 में मूल मस्जिद की पुरानी संरचना को गिराकर नई इमारत का निर्माण किया गया। नई बनी मस्जिद को पिछले महीने के अंत में ही सार्वजनिक रूप से खोला गया था।लगभग उसी समय जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली थी। यही वजह है कि लोग इसे लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं।
मस्जिद के मुख्य वास्तुकार हसीबुर रहमान ने बताया कि “मस्जिद बनाने के लिए भारत-इस्लामिक आर्किटेक्चर को अपनाया गया है, जिसमें 30,000 वर्ग फुट का निर्मित क्षेत्र है। जिसमें महिलाओं के लिए एक मंजिल है, जिसमें बुनियादी सुविधाओं के साथ प्रार्थना की जाती है।”इस खबर के वायरल होने के बाद कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड के सचिव ने भी मीडिया को बताया कि इसका नाम पीएम मोदी के नाम पर नहीं रखा गया है।