मोदी सरकार काम में भी अव्वल, दोनों सदनों ने काम के मामले में रिकॉर्ड तोड़ डाले

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मोदी सरकार ने काम के मामले में पुरानी सभी सरकारों को पछाड़ दिया है। पिछले ​कई दिनों से पूरे देश ने देखा भी है कि इस बार लंबे समय से लंबित कई बड़े मामले सुलझ गए। कई नए और महत्वपूर्ण कानून और विधेयक इस बार पास हुए हैं। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों ने काम के मामले में पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। बजट सत्र पूरा होने के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गए हैं। दोनों सदनों के सभापति के अनुसार इस बार की संसद को ऐतिहासिक बताया है। बताया जा रहा है कि सन् 1952 के बाद इस वर्ष सबसे ज्यादा विधेयक पारित किए गए। ऐसा काम पिछले कई सालों में किसी भी सरकार के समय नहीं हुआ है। इस बार उच्च सदन में 32 और लोकसभा में 36 विधेयक पारित किये गए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

राज्यसभा का ये सत्र ऐतिहासिक रहा है-वैंकया नायडू

बुधवार को राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस मौके पर सभापति वैंकेया नायडू ने कहा कि ये सत्र काम के मामले में स्वर्णिम रहा है। इस सत्र में तीन तलाक बिल के पास होने से सामाजिक बदलाव आएगा। साथ ही जम्मू—कश्मीर पुनगर्ठन बिल भी पूरे देश के लिए काफी अहम है। राज्यसभा में जलियावाला बाग राष्ट्रीय स्मारक बिल को वापस ले लिया गया। सभापति ने कहा कि इस सत्र में सभी सदस्यों ने अनुशासन भी बनाकर रखा। इस बार सदन में ज्यादा गतिरोध भी देखने को नहीं मिला। वैंकया नायडू ने कहा कि सदन के कुछ सदस्यों ने मुझे काफी प्रभावित किया है। राज्यसभा में हुए बजट सत्र में 39 चर्चाएं हुई। इसमें हुई 35 बैठकों में 32 बिल पास हुए जो पिछले 17 साल के 52 सत्रों में पहली बार हुआ। सभापति ने बताया कि इससे पहले वर्ष 2002 में 35 बिल पास हुए थे। राज्यसभा में इस बार समय का उपयोग भी सबसे ज्यादा हुआ। 5 साल में पहली बार राज्यसभा की उत्पादकता 104 फीसदी रही। सदन में कुल 194 घंटे काम हुआ जो करीब 11 साल बाद हुआ।

लोकसभा की उत्पादकता 125 प्रतिशत रही

वहीं लोकसभा में भी इस सत्र में पिछले कई सालों से अच्छा काम देखने को मिला। लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने बताया कि 1952 के बाद इस साल सबसे ज्यादा बिल पास हुए हैं। लोकसभाा में इस सत्र में 37 बैठकों में 36 बिल पास हुआ। लोकसभा में 17 जून से 6 अगस्त तक करीब 280 घंटे काम चला। बिड़ला ने बताया कि इस सत्र में करीब 33 विधेयक विचार के लिए प्रस्तुत किए गए। इस साल लोकसभा की उत्पादकता 125 प्रतिशत रही जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

 

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