भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के गतिरोध से निपटने के लिए सैन्य विकल्प तैयार हैं लेकिन इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब दोनों सेनाओं के बीच बातचीत और राजनयिक विकल्प से कोई हल नहीं निकलेगा। जनरल रावत ने कहा, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं।
रक्षा सेवाओं को ऐसे अभियानों पर निगरानी रखने और घुसपैठ को रोकने का काम सौंपा जाता है। ऐसी किसी भी गतिविधि का शांतिपूर्वक हल करने और घुसपैठ को रोकने के लिए सरकारी दृष्टिकोण अपनाया जाता है। रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य विकल्पों के लिए तैयार रहती हैं, एलएसी पर यथास्थिति को बहाल करने के कोई प्रयास सफल नहीं होने चाहिए।’
सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहा है भारत
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा, ‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सभी लोग इस उद्देश्य के साथ सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं कि पीएलए लद्दाख में यथास्थिति बहाल करना चाहता है।’ 2017 में जब भारत और चीन के बीच 73 दिनों का गतिरोध हुआ था उस समय सीडीएस रावत सेनाध्यक्ष का पदभार संभाल रहे थे। उन्होंने इस धारणा को दूर किया कि प्रमुख खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है।
उन्होंने कहा कि भारत की हिंद महासागर क्षेत्र के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एक विशाल फ्रंट-लाइन है, जिनमें से सभी को निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है। सीडीएस के अनुसार, भारत अपने हित के क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए चौबीसों घंटे वाली क्षमताओं का अधिग्रहण करने की दिशा में काम कर रहा है। सूचनाओं के संग्रहण और संयोजन के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के बीच नियमित रूप से बातचीत होती है। उन्होंने बताया कि लद्दाख या किसी अन्य क्षेत्र में जमीन पर स्थिति को लेकर सभी को लगातार अवगत कराया जा रहा है।