भारत पाकिस्तान के बीच इन दिनों विवाद गर्म है। हमारे पायलट अभिनंदन का पाकिस्तान की गिरफ्त में होना सभी भारतीयों के लिए चिंता का विषय है। हर कोई अभिनंदन के लिए परेशान है और चाहता है कि वे सकुशल घर लौट आएं। लेकिन हमारे नेता, आम लोग और उनके परिवार वालों से भी ज्यादा यदि कोई चिंतित है तो वह है हमारे मीडियाकर्मी, खासकर टीवी वाले। बेचारे दिन रात अभिनंदन पर विभिन्न कार्यक्रम बना रहे हैं ताकि पाकिस्तानी सरकार वे कार्यक्रम देखें और अभिनंदन को तुरंत उनके घर तक छोड़ने आए। देश के प्रति समर्पित यह टीवी वाले अपना सब कुछ त्यागकर सिर्फ और सिर्फ अभिनंदन को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय वायुसेना को तो शायद शर्म आनी चाहिए क्योंकि वे अपने आॅफिसर के लिए ज़रा भी परेशान नहीं हैं, किसी अपने की दुश्मन देश में फंसे होने की चिंता क्या होती है, ज़रा टीवी के पत्रकार और उनकी टीम से सीखें। बहुत व्यथित हैं बेचारे…।
आपने अभिनंदन के वीडियोज देखे हैं जो पाकिस्तान की ओर से जारी किए गए हैं। उसमें आपने एक बात गौर की, जब पाकिस्तानी आर्मी अभि से उनके मिशन, घर, परिवार आदि के बारे में सवाल करती है तो वह क्या कहते हैं? वे हर बार यही जवाब देते हैं, ‘आई एम नॉट स्पॉस्ड टू टेल यू दिस…’ यानी वे इस बारे में कुछ नहीं बता सकते। वे हर सवाल के जवाब में ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्योंकि वे आर्मी पर्सन हैं और उन्हें ट्रेनिंग के दौरान यह सब बातें सिखाई जाती हैं। वे अपने या देश से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी नहीं दे सकते हैं। उनके यह वीडियोज दिखाते हैं कि वे अपने पेशे के प्रति कितने समर्पित हैं।
लेकिन उन्हें क्या पता कि उनके भाई जो यहां इंडिया में मीडिया रूम में बैठे हैं वे किसी तरह के एथिक्स फॉलो नहीं करते। हमारे खोजी पत्रकार अभिनंदन के घर तक पहुंच चुके हैं। उनके घर के हर शख्स की जानकारी वे बड़े ही दिलचस्प अंदाज में अपने शो में बता रहे हैं। यहां तक कि वे अभिनंदन की कॉलोनी के गार्ड से भी बात कर आए हैं कि अभि पिछली बार कब आए थे और कितने दिन रूके थे। इतनी फोकस पत्रकारिता देखी है आपने कहीं? पाकिस्तानी आर्मी भी … है। अभि से इतने सवाल करने की जरूरत ही नहीं थी। बस, वो हमारी मीडिया से ‘अभिनंदन’ बोल देते और पाकिस्तान को उनके पैदा होने से लेकर लास्ट क्या खाया था तक की जानकारी मिल जाती।
वैसे पत्रकारिता में भी एथिक्स का एक पोर्शन होता है लेकिन टीआरपी और व्यूअरशिप के खेल मेें किताबी बातों को तो भूलाना ही पड़ता है। सिद्धांत पर चल लो या व्यवसाय कर लो। दो में से कुछ एक ही हो सकता है। देशभक्ति दिखाने का यही तो समय है, अभी ही सर्टिफिकेट मिल पाएगा बाद में तो बस, वही रूटीन शो और न्यूज दिखानी है। गला फाड़कर, आंखों में खून लिए एंकर पूरी तरह से किरदार में घुसा हुआ नज़र आ रहा है। इनके लिए भी बॉलीवुड में एक अवॉर्ड कैटेगिरी शुरू करना चाहिए।
न्यूज रूम हो, कोई बड़ा पोर्टल हो या अखबार हो…सभी जगह पर बड़े-बड़े महान पत्रकार बैठे हैं जो अपने अनुभवों का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। फिर भी देश में जब भी ऐसी घटना होती है, उस पर की जाने वाली तथाकथित पत्रकारिता पर हर बार सवाल उठते हैं लेकिन इसका जवाब देने कोई सामने नहीं आता।
मीडिया वाले जिंदाबाद, जिंदाबाद…