बर्थडे: देश की लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है एमसी मैरी कॉम का जीवन

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विश्व महिला बॉक्सिंग में छह बार की वर्ल्ड चैंपियन, ओलिंपिक पदक विजेता व पूर्व राज्यसभा सांसद एमसी मैरी कॉम आज 1 मार्च को अपना 40वां जन्मदिन मना रही हैं। मैरीकॉम का जन्म वर्ष 1983 में मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले स्थित कांगथेई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की कुल तीन संतानों, दो बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी हैं।

बहुत कम लोगों के पता है एमसी मैरी कॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम है। जीवन में विभिन्न चुनौतियों को पार कर के मैरी ने मुक्केबाजी की दुनिया में अपना नाम सुनहरे शब्दों में दर्ज़ कराया है। आज वे देश में हर आयु वर्ग की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा मानी जाती हैं। इस ख़ास अवसर पर जानिए सुप्रसिद्ध भारतीय महिला बॉक्सर मैरीकॉम के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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मां बनने के बाद करियर को नई दिशा दी

अमूमन जब लड़की मां बन जाती है तो उसकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती है और वह अपने करियर पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाती। एमसी मैरी कॉम इस अवधारणा को ग़लत साबित कर दुनियाभर की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। उन्होंने मां बनने के बाद अपने करियर को नई दिशा दी या यूं कहें कि मां बनना ही उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। बॉक्सिंग में अच्छा प्रदर्शन कर रही मैरी ने शादी के बाद वर्ष 2007 में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें बताया कि फिर से रिंग में जाने के लिए अब उन्हें लंबा वक़्त लगेगा और कम से कम तीन साल में वे फिर से फिट होंगी। लेकिन यह बात मैरी के लिए शॉकिंग थी।

मैरी कॉम अपने खेल से इतने दिन के लिए दूर नहीं रहना चाहती थीं। उनके हसबैंड ओंगलर ने उन्हें काफी सपोर्ट किया। इस कारण मैरी ने खुद को एक साल के अंदर ही फिट कर लिया और बॉक्सिंग की दुनिया में वापसी के लिए ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। साल 2008 में मैरी कॉम ने गुवाहाटी में हुई एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया और सिल्वर मेडल जीत कर खुद को फिर साबित कर दिखाया। उनकी इस जीत ने उन तमाम आलोचकों का भी मुंह बंद कर दिया जो मान रहे थे कि मां बनने के बाद एमसी मैरी कॉम फिर से रिंग में नहीं लौट पाएंगी। इसी वर्ष उन्होंने फिर खुद को रिंग की रानी साबित किया, जब मैरी ने चीन में हुए विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।

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एमसी मैरीकॉम के बारे में दिलचस्प बातें..

— दिग्गज महिला बॉक्सर एमसी मैरी कॉम भारत की पहली ऐसी महिला है, जिन्होंने बॉक्सिंग में 6 वर्ल्ड चैंपियनशिप के हर मुकाबले में जीत हासिल की है।
— वर्ष 2012 में हुए लंदन ओलिंपिक में वे क्वॉलीफाई करने वाली इकलौती भारतीय बॉक्सर रहीं और उन्होंने ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर रिकॉर्ड बनाया।
— साल 2014 में दक्षिण कोरिया में इंचियोन में हुए एशियन गेम्स में मैरी कॉम ने गोल्ड मेडल जीता और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं।
— वर्ष 2001 में पहली बार नेशनल महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीतने वाली मैरी कॉम अब तक 10 राष्ट्रीय ख़िताब भी अपने नाम कर चुकी हैं।
— एमसी मैरीकॉम ने विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में छह गोल्ड मेडल समेत कुल आठ पदक जीते हैं।

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कई बड़े सम्मानों से सम्मानित, एक ख़्वाहिश है अधूरी

देश की लाखों महिला व लड़कियों की प्रेरणा बन चुकी एमसी मैरी कॉम को अब तक कई बड़े अवॉर्ड से नवाज़ा जा चुका है। उन्हें वर्ष 2003 में ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था। इसके बाद साल 2006 में भारत सरकार ने चौथे सर्वोच्च अवॉर्ड ‘पद्मश्री’ से नवाज़ा। वर्ष 2009 में मैरी कॉम को देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ से सम्मानित किया। भारत सरकार ने खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए साल 2013 में मैरीकॉम को ‘पद्मभूषण’ और वर्ष 2020 में ‘पद्मविभूषण’ से नवाज़ा। यह देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

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मैरीकॉम के जीवन पर बन चुकी है बॉलीवुड फिल्म

साल 2014 में डायरेक्टर ओमंग कुमार ने मैरी कॉम की ज़िंदगी पर आधारित फिल्म ‘मैरी कॉम’ बनाई थी, जिसमें एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने उनका रोल में प्ले किया था। इस फिल्म ने दुनियाभर में कुल 88 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी। महिला बॉक्सिंग की दुनिया के कई टाइटल अपने नाम कर चुकी एमसी मैरीकॉम की एक ख़्वाहिश अभी तक अधूरी है।

मैरी कॉम ने एक इंटरव्यू में कहा था, उन्हें ओलिंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक न जीत पाने का मलाल है। संभव है कि इस साल टोक्यो ओलिंपिक में उनकी यह ख़्वाहिश पूरी हो जाए। उन्होंने कहा ‘मुझे इस बात की ख़ुशी है कि अब भारत में महिला बॉक्सिंग के प्रति लोग जागरूक होने लगे हैं। हर स्तर पर लड़कियां इसमें आ रही हैं जो बहुत ख़ुशी की बात है। वो अपनी कामयाबी का पूरा क्रेडिट परिवार और पति को देती हैं।

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