श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला में अब 18 जनवरी को फैसला सुनाएगी अदालत

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उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिला जज की अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर दायर दावे की अपील पर शाही मस्जिद ईदगाह पक्ष के विरोध पर सोमवार को निर्णय नहीं सुनाया जा सका। आकस्मिक अवकाश होने के कारण इस पर अब 18 जनवरी को अदालत निर्णय देगी। श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के माध्यम से 13.37 एकड़ जमीन पर पूर्व में की गई डिक्री (न्यायिक निर्णय) खारिज करने की मांग की गई है। शाही ईदगाह के सचिव ने दावे की अपील को सुनवाई योग्य नहीं मानने के लिए अदालत में प्रार्थना-पत्र दिया है।

दावे में ये प्रतिवादी बनाए गए

श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व अन्य ने 25 सितंबर 2020 को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दावा दायर किया था, जिसकी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई और दावे को खारिज कर दिया गया। इसके बाद इस दावे की अपील जिला जज की अदालत में हुई और सभी पक्षों को नोटिस दिए गए। इनमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट प्रबंधन, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन तथा शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव अदालत में हाजिर हुए।

श्रीकृष्ण विराजमान के दावे की अपील खारिज करने की मांग की

शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद ने 7 जनवरी को अदालत में प्रार्थना-पत्र दिया, जिसमें श्रीकृष्ण विराजमान के दावे की अपील का विरोध करते हुए खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अपील प्रकीर्णवाद में दर्ज होने के कारण यह सुनवाई योग्य नहीं है। प्रार्थनापत्र पर जिला जज यशवंत कुमार मिश्रा ने सुनवाई की और निर्णय के लिए 11 जनवरी तारीख नियत की। डीजीसी क्रिमिनल शिवराम तरकर ने बताया कि अब इस प्रार्थना-पत्र का निस्तारण 18 जनवरी को होगा। सोमवार को अधिवक्ता गगन वर्मा की मौत के कारण शोक अवकाश होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद का यह है पूरा मामला

कोर्ट में दायर किए गए वाद में वादी रंजना अग्निहोत्री समेत आठ लोगों ने कहा है शाही मस्जिद ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की जमीन पर बनी है। वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच समझौता हुआ था, जबकि जिस जमीन का समझौता हुआ वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की है। ऐसे में समझौता अवैध है और उसे रद्द कर पूरी 13.37 एकड़ जमीन ट्रस्ट को दी जाए। इस मामले में अदालत ने चारों प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था।

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