हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ राजस्थान की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। 21 अक्टूबर को राजस्थान की मंडावा और खींवसर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। गुरुवार को जारी हुए परिणामों में इन दोनों सीटों में से एक पर सत्ताधारी कांग्रेस और दूसरी सीट पर आरएलपी-बीजेपी गठबंधन के उम्मीदवार के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। राजस्थान की मंडावा विधानसभा सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है, जबकि खींवसर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार ने एक बार फ़िर उपचुनाव में भी बाजी मारी है।
उपचुनाव में रीटा चौधरी को मिली जीत
साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में मंडावा सीट से हार का सामना करने वाली पूर्व विधायक रीटा चौधरी ने इस बार उपचुनाव में जीत दर्ज की है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सुशीला सीगड़ को करीब 30 हजार वोटों से हराया है। रीटा को इससे पहले वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नरेन्द्र कुमार से करीब 2500 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। नरेन्द्र के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर झुंझुनूं सांसद बन जाने से मंडावा विधानसभा सीट खाली हुई थी। इस सीट पर उपचुनाव जीतते हुए कांग्रेस के विधानसभा सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, वहीं बीजेपी को एक सीट का नुकसान हुआ है। प्रदेश में सत्ता पर आसीन कांग्रेस को उपचुनाव में दो में से एक सीट पर ही जीत मिली है, जबकि बीजेपी ने अपनी एक सीट गंवाई है।
बीजेपी-आरएलडी का खींवसर सीट पर फ़िर कब्ज़ा
नागौर की खींवसर विधानसभा सीट पर बीजेपी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार नारायण बेनीवाल पहली बार विधायक चुनकर आए हैं। साल 2018 के राजस्थान चुनाव में खींवसर सीट पर आरएलपी के हनुमान बेनीवाल 15 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वे नागौर लोकसभा सीट से बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़े और जीते, जिसके कारण खींवसर सीट रिक्त हो गई थी। इस सीट पर उपचुनाव में बीजेपी-आरएलपी गठबंधन ने हनुमान के भाई नारायण बेनीवाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। उन्होंने उपचुनाव में जीत दर्ज की है।
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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार नारायण बेनीवाल ने कांग्रेस के हरेंद्र मिर्धा को उपचुनाव में 4 हजार से ज्यादा वोटों से पराजित किया है। इस तरह खींवसर सीट पर एक बार फ़िर आरएलपी का कब्जा हो गया है। लगातार दो चुनावों में जीत के बाद यह कहा जा सकता है कि खींवसर हनुमान बेनीवाल के दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गढ़ बन सकता है। विधानसभा चुनाव में मंडावा और खींवसर दोनों ही सीटें बीजेपी और उसके सहयोगी दल के पास थी। लेकिन अब दो में से एक सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है। कांग्रेस ने मंडावा में बड़े अंतर से जीत दर्ज की है।