लोग पचा क्यों नहीं पा रहे मलाइका अरोड़ा और अर्जुन कपूर का रिश्ता

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‘ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन…’ प्यार को ये लाइनें बहुत अच्छे से डिफाइन करती हैं। ‘प्यार’ है ही ऐसी चीज, जिसमें कुछ देखा नहीं जाता। बस, दो दिल होते हैं जो एक दूसरे के लिए धड़कते हैं और जिंदगी इन्हीं धड़कनों से खूबसूरत बन जाती है।

जब किसी लड़के का दिल लड़की पर आता है तो बिना किसी सवाल के हर कोई लड़के के पक्ष में होता है। यदि लड़का उम्र में बड़ा भी हो तो कोई दिक्कत नहीं, यह तो और भी अच्छा है क्योंकि वह उम्र के हिसाब से और भी बेहतर तरीके से लड़की का ध्यान रख सकता है। पर बड़ी बड़ी बातें करने वाला समाज उस समय बहुत पजेसिव हो जाता है जब उम्र में लड़की बड़ी हो। ‘उम्र तो सिर्फ एक नम्बर है’ यह बात लड़की के केस में फिट नहीं बैठती। परम्परा तो लड़की के हमेशा छोटे रहने की रही है तो यह बदलाव पचाना थोड़ा नहीं, बहुत मुश्किल है।

यहां मलाइका अरोड़ा को शाबाशी देने का वक्त है, जो इस समय समाज से लड़ रही हैं। मुद्दा यूं तो बड़ा नहीं लेकिन समाज के लिए तो यह एक बड़ी घटना है क्योंकि मलाइका अपने से दस साल छोटे, हां, दस साल छोटे अर्जुन कपूर को डेट कर रही हैं। तौबा, तौबा बिलकुल भी शर्म नहीं आती इस औरत को, जवान बेटा है लेकिन खुद की जवानी खत्म नहीं हो रही, ​खुलेआम छोटे लड़के के साथ इश्क लड़ा रही है, लड़कियों को गलत रास्ते पर ले जा रही है…ऐसी बातें मलाइका के लिए अक्सर सोशल साइट पर मिल जाएंगी।

नोट : मलाइका के पूर्व पति अरबाज खान भी अपने से छोटी अंग्रेज मॉडल को डेट कर रहे हैं लेकिन इसमें इतनी गौर करने वाली कोई बात नहीं है।

तमाम आलोचनाओं के बावजूद अपने नए प्यार से खुश मलाइका ने एक बात कही जो उन सभी लोगों के मुंह पर तमाचा मारती है जो प्यार और उम्र को एक तराजू में तोलने की कोशिश करते हैं।
पहले बता दूं मलाइ​का ने क्या कहा, ‘जब रिलेशनशिप में होते हैं तो ऐज डिफरेंस आपके दिमाग में नहीं आता है। ये दो दिलों और माइंड्स का कनेक्शन है। दुर्भाग्य से, हम ऐसे समाज में रहते हैं, जो वक्त के साथ प्रोग्रेस नहीं करना चाहता है। एक बड़ा आदमी यंग गर्ल के साथ रोमांस कर सकता है, लेकिन अगर महिला बड़ी हो तो उन्हें ‘डेसपरेट’ और ‘बूढ़ी’ कहकर बुलाया जाता है। जो लोग ऐसा सोचते हैं, उनके लिए मेरे पास एक ही लाइन है – भाड़ में जाएं।’

कितने अच्छे से मलाइका ने अपनी बात को समझा दिया। सही भी है, समाज इस रिश्ते को पचाने में इतना असहज क्यों महसूस कर रहा है? उसकी लाइफ है वो जो चाहे डिसीजन ले। अगर वो खुश है तो क्या दिक्कत है और अगर बाद में दुखी भी होता है तो भी वह उसके लिए तैयार है। फिर ये दूसरों की लाइफ में झांकने वाले किस हक से अपनी राय दे रहे हैं? अपनी कीमती राय अपने पास रखिए और जब समय आए तो आईने के सामने खड़े होकर खुद को वही राय दें, समझ आ जाएगा बिना सोचे समझे राय देना कितना बड़ा पाप है।

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