यह आवाज ही है जो कभी मरती नहीं। हमारी फिल्मी दुनिया ने ऐसे कई फनकार दिए हैं, जिनके काम की आज भी कितनी ही तरीफ की जाए कम है। ऐसे ही एक गायक थे महेंद्र कपूर। महेंद्र के गाने उनके जाने के बाद भी जब जुबां पर आते हैं तो एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। वह एक ऐसे गायक थे जिनके सुरों में इतनी जान थी कि हर दिल को छू लिया करते थे। आज 9 जनवरी को महेंद्र कपूर की 89वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस खास मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
लीजेंड मोहम्मद रफी से काफी प्रभावित थे महेंद्र
महान गायक महेंद्र कपूर का जन्म 9 जनवरी, 1934 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। महेंद्र को बचपन से ही गायिकी का शौक था और उनका यही शौक उन्हें मुम्बई तक ले गया था। उन्होंने गायिकी की दुनिया में पहचान बनाने के लिए काफी मेहनत की और कई ख्यातनाम गायकों के शार्गिद के रूप में भी काम किया। महेंद्र कपूर ने अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हुस्नलाल-भगतराम, उस्ताद नियाज़ अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान और पंडित तुलसीदास शर्मा से हासिल कीं। महान गायक मोहम्मद रफी से प्रभावित होने के कारण महेंद्र उन्हीं की तरह पार्श्वगायक बनना चाहते थे।
मर्फी रेडियो कॉन्टेस्ट के विजेता बनकर चमके
महेंद्र कपूर की किस्मत तब चमकी जब मर्फी रेडियो की ओर से आयोजित एक कॉन्टेस्ट के वो विजेता बने थे। इसके बाद उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुईं। उन्होंने वर्ष 1953 में आई फिल्म ‘मदमस्त’ के साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित गीत ‘आप आए तो ख्याल-ए-दिल-ए नाशाद आया’ को गाया। वर्ष 1958 में प्रदर्शित वी. शांताराम की फिल्म ‘नवरंग’ में महेन्द्र कपूर ने सी. रामचंद्र के संगीत निर्देशन में ‘आधा है चंद्रमा रात आधी’ से बतौर गायक अपनी पहचान कायम की। इसके बाद महेंद्र कपूर ने सफलता की नई उंचाइयों को छुआ और एक से बढ़कर एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
‘मेरे देश की धरती…’ ने दिलाई एक अलग पहचान
फिल्मी करियर के दौरान महेंद्र कपूर ने यूं तो कई नगमे गाए, लेकिन फिल्म ‘उपकार’ का गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती..’ उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। देशभक्ति गीतों की लिस्ट में उनके इस गीत को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाने लगीं। जब भी वो किसी कॉन्सर्ट में जाते, इस गीत को गाने की गुजारिश जरूर होती थी। इस गीत के लिए उन्हें ‘बेस्ट प्लेबैक सिंगर’ का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। इसके बाद महेंद्र कपूर ने मनोज कुमार के ‘है प्रीत जहां की रीत सदा’ और ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ जैसे बेहद पॉपुलर गीतों को भी अपनी आवाज दी।
तीन बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता
वर्ष 1972 में भारत सरकार ने महेन्द्र कपूर को कला के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था। महेंद्र को उनके करियर में तीन बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का ‘फिल्मफेयर पुरस्कार’ मिला। उन्हें सर्वप्रथम वर्ष 1963 में फिल्म ‘गुमराह’ के गीत ‘चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं’ के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। उन्होंने मोहम्मद रफी, तलत महमूद, मुकेश, किशोर कुमार तथा हेमंत कुमार जैसे चर्चित गायकों के दौर में सफलता हासिल की। महेंद्र कपूर ने अन्य संगीतकारों के अलावा सी रामचंद्र, ओपी नैयर और नौशाद के साथ भी काम किया और कई बेहतरीन गीत बॉलीवुड को दिए।
मधुर आवाज से श्रोताओं के दिलों में बनाई जगह
गायक महेंद्र कपूर ने हिंदी फिल्मों के अलावा कई मराठी फिल्मों के लिए पार्श्वगायन किया था। इसके अलावा उन्होंने बेहद लोकप्रिय टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ का शीर्षक गीत भी गाया। अपनी मधुर आवाज से श्रोताओं के दिलों में खास पहचान बनाने वाले महेन्द्र कपूर ने 27 सितंबर, 2008 को इस दुनिया से अलविदा कह दिया।
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महेंद्र कपूर के कुछ दिल छू लेने वाले नगमे…
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