विजय माल्या की प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका लंदन हाईकोर्ट ने ख़ारिज की

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Vijay-Mallaya

भारतीय कारोबारी एवं किंगफिशर एयरलाइंस का प्रमुख विजय माल्या पिछले कुछ वर्षों से ब्रिटेन में छिपा हुआ है। माल्या 9000 करोड़ रुपए के वित्तीय अपराध से जुड़े मामलों में वॉन्टेड हैं। ब्रिटेन में छिपे माल्या को भारत लाने के लिए जांच एजेंसियां काफी समय से प्रयासरत हैं। पिछले साल 3 फरवरी को ब्रिटेन के गृह सचिव ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। इसके बाद माल्या ने अपने प्रत्यर्पण को ब्रिटेन की लंदन रॉयल कोर्ट में चुनौती दी थी। उसकी याचिका पर इसी साल 2020 में लंदन की कोर्ट में 11, 12 और 13 फरवरी को सुनवाई हुई थी, जिसके बाद अब ब्रिटिश हाईकोर्ट ने माल्या पर अपना फैसला सुना दिया है।

माल्या के प्रत्यर्पण की कानूनी बाधा हुई दूर

ब्रिटिश हाईकोर्ट ने विजय माल्या को बड़ा झटका देते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लिंग की दो सदस्यीय पीठ के माल्या की याचिका पर फैसला सुनाया। इस फैसले से आर्थिक अपराध के मामले में भगोड़े घोषित विजय माल्या के प्रत्यर्पण की कानूनी बाधा दूर हो गई है। लंदन की कोर्ट ने माल्या को तीन मामलों में दोषी पाया। ब्रिटिश कोर्ट ने माल्या को भारतीय बैंकों से धोखाधड़ी और उसके बाद देश छोड़कर भागने, किंगफिशर के लाभ के संबंध में गलत जानकारी देने का दोषी पाया था। कोर्ट ने कहा कि माल्या 1 सितंबर 2009 से 24 जनवरी 2017 के बीच हुए कई अपराधों के लिए आरोपी हैं।

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गृहमंत्री प्रीति पटेल के पास जाएगी प्रत्यर्पण फाइल

ब्रिटिश कोर्ट ने कहा कि वियज माल्या ने 7 अक्टूबर 2009 को 1500 मिलियन, 4 नवंबर 2009 को 2000 मिलियन और 27 नवंबर 2009 को 7500 मिलियन भारतीय रुपए का कर्ज़ लिया था, जिसे उसने चुकाने की मंशा नहीं दिखाई। जानकारी के अनुसार, अब माल्या के प्रत्यर्पण की फाइल ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास जाएगी। हालांकि, अभी माल्या के पास हाईकोर्ट के इस फैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार भी बाकी बचा हुआ है। 14 दिन के भीतर इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है। गौरतलब है कि शराब कारोबारी विजय माल्या साल 2016 से ब्रिटेन में छिपा हुआ है।

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