कांग्रेस की कर्जमाफी कहीं मोदी के लिए ही ना बन जाए फायदे का सौदा

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किसानों का कर्जा माफ करने वाली कांग्रेस ने जो वादा किया वो निभाया भी है। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस को एक बार फिर से पैरों के बल खड़ा करने के लिए कर्जमाफी का ब्रहस्त्र निकाला तो सही लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि इसे वो चलाएंगे कैसे। अगर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्जा माफ कर दिया जाता है तो बैंको पर इसका भारी असर पड़ेगा। इस वक्त बैंकों पर 9 करोड़ किसानों पर बकाया करीब 5 लाख करोड़ रुपया कर्जा माफ करने का दबाव है और दूसरी तरफ राज्य सरकारों के खजाने खाली पड़े हैं। तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों ने अपना कर्जा चुकाना भी बंद कर दिया है।

अर्थशास्त्रियों की मानें तो किसानों को सच में मदद की काफी आवश्यकता है लेकिन कर्जमाफी इसका कोई उपाय नहीं है।

एक टॉक शो में अरुण जेटली से जब ये पूछा गया कि कांग्रेस ने किसानों का कर्जा माफ कर दिया है और इस पर उनकी राय पूछी गई तो उसके जवाब में जेटली ने कहा था कि कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि राज्य सरकारें कर्जा चुकाने के बाद जो वित्तिय घाटा होगा उसकी पूर्ति कहां से करेगी। अब यही सवाल यहां भी आकर खड़ा हो जाता है कि राहुल गांधी ने बिना ये जाने कि राज्य किसानों का कर्जा माफ करने के लिए पैसा कहां से आएगा कैसे कर्ज माफ कर दिया। अभी कांग्रेस को तीन राज्यों में 5 साल के लिए अपनी सरकार चलानी है उन्हें केंद्र से तो पैसा मिलता ही रहेगा लेकिन कर्जमाफी से बैंको को जो घाटा होगा उसका इलाज कैसे होगा।

अब बात कांग्रेस की करते हैं जो किसानों का कर्ज माफ कर फिलहाल देश के समस्त किसानों के प्रति अपनी अच्छी छवि बनाने की कोशिश कर रही है और अपनी बातों में आंकड़े बिलकुल नहीं दिखा रही है। लोकसभा चुनाव नजदीक आते आते कांग्रेस कर्जमाफी के मुद्दों को पूरी तरह से भुनाने की फिर से कोशिश करेगी वहीं जनता को ये भी बताएगी कि किस तरह उन्होंने सत्ता में आते ही किसानों का कर्जा माफ कर दिया है। अर्थशास्त्रियों की मानें तो किसानों को सच में मदद की काफी आवश्यकता है लेकिन कर्जमाफी इसका कोई उपाय नहीं है। इसका उल्टा असर राज्य सरकारों के राजकोष पर पड़ेगा जिससे महंगाई और भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं। किसानों को कुछ दिनों तक तो राहत मिलेगी लेकिन वो फिर से कर्जे के बोझ तले दब सकता है।

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