क्या कभी किसी का दर्द लिया उधार…

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मेरे साथ ये हुआ, मेरे साथ वो हुआ, मुझे कोई समझता नहीं, मेरी भावनाओं की कद्र नहीं, मैं किसी के लिए महत्वपूर्ण नहीं…। अक्सर जब हम परेशान होते हैं तो ये सब बातें ज़हन में आने लगती हैं। यह इंसानी प्रवृत्ति है कि उसे अपना दुख सबसे बड़ा लगता है, वहीं दूसरे के दर्द को हम दिल से महसूस करने की कोशिश ही नहीं करते। जिंदगी में सिर्फ अपने लिए ही हमेशा खुशी ढूंढते रहना सही नहीं है। कभी दूसरों के लिए ​जीना भी जरूरी है। क्या आपको याद है कि आखिरी बार आपने किसी का दुख दूर किया था या किसी की आंख के आंसू पोछे थे?

जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ खुशियां बटोरना ही मकसद नहीं होना चाहिए, खुशियां बांटना भी खुशी देता है। यकीन ना आए तो अपने आस—पास किसी दुखी व्यक्ति के आंसू पोछिए, उसके पास कुछ देर बैठिए, उसे साहनु​भूति मत दीजिए बल्कि उसका दर्द दिल से महसूस करने की कोशिश कीजिए। अगर इतना भी कर लिया तो आपने बहुत कुछ कर लिया। सामने वाले व्यक्ति को आप यह अहसास कराने में कामयाब हो जाएंगे कि उसकी भावनाओं को समझने वाला कोई है। जब उस व्यक्ति को यह अनुभव होगा तो वह अपने आप ही आपके साथ मुस्कुराने की कोशिश करने लगेगा। इसके साथ ही आप किसी व्यक्ति को अवसाद की दुनिया में जाने से भी रोक लेंगे और इन सबके बाद आपका दिल जो खुशी महसूस करेगा वह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

जब आप दर्द में होते हैं तो आप उम्मीद करते हैं कि कोई आए और आपको इन दुखों से दूर ले जाए। ऐसे में यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप भी किसी के हमदर्द बन सकें। खुशियों को सेलिब्रेट करने के लिए तो कई लोग मिल जाते हैं लेकिन बात तो तब है जब दुख के पलों में शरीक हुआ जाए। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना होता। बस, अपना कुछ समय देना होता है और सामने वाले की भावनाओं को समझने की कोशिश करनी होती है, फिर अपने आप दुखों को बांटने वाले साथी बन जाते हैं।

जब आप किसी को दुख की दुनिया से बाहर लेकर आते हैं तो आप उसके दिल में जगह बना लेते हैं और किसी के दिल में जगह मिल जाए तो समझिए आपने बहुत कुछ पा लिया…।

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