पूरी दुनिया में ‘फादर ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ के नाम से मशहूर थॉमस एडिसन का नाम तो आपने सुना ही होगा। मगर जीवन भर उनके प्रतिद्वंदी रहे निकोल टेस्ला को कभी उतनी प्रसिद्धि नहीं मिल पाई। उन्होंने कई ऐसे अविष्कार किए और भविष्यवाणियां की, जो आज हम सब के जीवन का एक हिस्सा बन चुके हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इलेक्ट्रिसिटी के अविष्कार के मामले में भी टेस्ला का दावा ही सही साबित हुआ था।
आज आपके चारों तरफ जो जगमगाती रोशनी है उसके पीछे निकोल टेस्ला का ही दिमाग है। टेस्ला ने बिजली और मास कम्युनिकेशन सिस्टम्स की जबकि थॉमस एडिसन ने बल्ब, फोनोग्राफ और चलती-फिरती तस्वीरों की खोज की थी। उन्हें आज अमेरिका के आईकॉनिक वैज्ञानिक के तौर पर जाना जाता है। 1880 में टेस्ला और एडिसन के बीच इस बात को लेकर झगड़ा था कि किसके पावर से दुनिया को रोशनी मिलेगी।
दरअसल टेस्ला ने अल्टरनेट करंट (एसी) और एडिसन ने इससे उलट डायरेक्ट करंट (डीसी) की खोज की थी। टेस्ला का मानना था कि दुनिया एसी करंट से रोशन होगी जबकि एडिसन डीसी करंट के पक्ष में थे। मगर अंत में टेस्ला का दावा ही सही रहा और आज घरों में रोशनी एसी करंट की वजह से ही है। टेस्ला ना सिर्फ एक महान इंजीनियर थे बल्कि वो काफी बेहतरीन फिलॉसॉफर, कवि और विशेषज्ञ भी थे।
टेस्ला अपनी कुछ खास खूबियों की वजह से मशहूर थे, जिनमें से एक है उनकी याद्दाश्त। वह खुद मानते थे कि उनकी फोटोग्राफिक मेमोरी है। वह पूरी किताब को याद कर लेने में सक्षम थे। साथ ही वह तस्वीरों और चीजों को भी बारीकी से याद रखते थे। अपने निजी जीवन में वो हमेशा अकेले रहे। किशोरावस्था में बीमार होने की वजह से उन्हें कीटाणुओं से बहुत डर लगता था। जिसके कारण वो हाइजीन का बहुत ध्यान रखते थे।
चुनौती भरा रहा सफर :
टेस्ला ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया। 1895 में मैनहट्टन लैबोरेटरी में आग लगी थी, जिसमें उनके नोट्स और प्रोटोटाइप्स जलकर खाक हो गए थे। इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रिक पावर के वायरलेस ट्रांसमिशन पर काम शुरू किया। उन्हें भरोसा था कि इससे बिजली भेजने के साथ ही दुनिया भर में बेतार बातचीत भी की जा सकेगी। अपने आइडिया के टेस्ट के लिए उन्होंने कोलोराडो स्प्रिंग्स में एक लैब बनवाया।
मगर टावर बनवाने के लिए उन्हें फंड की जरूरत थी। ऐसे में उन्होंने 1901 में जेपी मॉर्गन को निवेश के लिए मनाया। इन सबके बावजूद टेस्ला का सपना पूरा नहीं हो सका और मॉर्गन ने जल्दी ही फंड देना बंद कर दिया। 1909 में मारकोनी को रेडियो के आविष्कार का नोबल प्राइज मिला था। उस दौरान टेस्ला ने मारकोनी पर पेटेंट्स के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन इसमें भी उन्हें हार ही मिली।
10 जुलाई, 1856 को जन्मे टेस्ला ने 7 जनवरी, 1943 को न्यूयॉर्क के एक होटल में अंतिम सांस ली। खास बात यह है कि नोबल ना सही मगर टेस्ला को एडिसन मेडल मिल चुका है। ये वो अवॉर्ड है जो उनके बॉस के नाम पर है, जिसे वे ताउम्र नापसंद करते रहे। बता दें कि इलेक्ट्रिक कार टेस्ला भी निकोल टेस्ला के नाम पर ही है। इलेक्ट्रिक इंजीनियर टेस्ला की याद में एलन मस्क ने अपनी कार का नाम टेस्ला के नाम पर रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।