छोटी सी बात पर नाराज हो जाना और फिर बाद में पछताना कि बेवजह इतना परेशान हुए जबकि इसकी जरूरत ही नहीं थी। ऐसा आपके साथ भी अक्सर होता होगा। क्या कभी इसके पीछे का कारण समझने की कोशिश की। ये इसलिए हुआ क्योंकि किसी भी सिचुएशन में हम सबसे पहले पेशेंस यानी धैर्य को साइड में रख देते हैं। रूटीन के काम या बातों में यदि आप गौर करें तो कई बार ऐसा होता है जब पेशेंस रखने की जरूरत होती है लेकिन तब हम भूल जाते हैं कि पेशेंस भी कुछ होता है।
पेशेंस आखिर होता क्या है? जब आप किसी भी बात या सिचुएशन को बिना आपा खोए तसल्ली से समझने की कोशिश करते हैं तो वह पेशेंस की श्रेणी में आता है। यानी आप रिएक्ट करने से पहले खुद में एक ठहराव लाते हैं और फिर बात को समझने की कोशिश करते हैं।
अब सवाल आता है कि यह क्यों जरूरी है? और इससे क्या फायदा होता है? तो पहले सवाल का जवाब देते हैं, चाहे कोई भी बात हो यदि आप उसे गहराई से समझना चाहते हैं तो आपको धैर्य रखना होगा। जब आप धैर्य रखते हैं तो आपका दिमाग बातों और सिचुएशन का सही तरह से विश्लेषण कर पाता है। जब विश्लेषण के बाद आप किसी नतीजे पर पहुंचते हैं तो उसके सही होने के चांसेस ज्यादा बढ़ जाते हैं। बातों को सही रूप में समझने के लिए पेशेंस की जरूरत होती है।
अब दूसरे सवाल का जवाब कि यह क्या फायदा देता है तो इसके बहुत फायदे हैं। यह आपको समझदार व्यक्ति बनाता है, बातों की समझने की कुशलता देता है, आपका नजरिया विकसित करता है, आपकी बेहतर छवि बनाता है, आपके रिश्तों में मिठास बनाए रखता है, आपको पछताने से रोकता है, गुस्से पर काबू करने में मदद करता है और भी बहुत कुछ।
तो अगली बार किसी भी बात पर तुरंत रिएक्शन देने की बजाय ‘धैर्य’ भाई साहब को अपने साथ रखें। ये आपकी बहुत मदद करेंगे और आपको कुछ भी गलत करने से रोक देंगे।