हैदराबाद और यहां राज करने वाले निजाम इन दिनों सुर्खियों में हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को धमकी भरे अंदाज में कहा कि यदि विधानसभा चुनावों के बाद तेलंगाना में भाजपा की सरकार बनती है तो ओवैसी को यहां से भागना पड़ेगा।
योगी आदित्यनाथ के इस बयान के बाद तेलंगाना की राजनीति गरमा गई। गौरतलब है कि तेलंगाना में चुनाव सिर पर है और बीजेपी के 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा में केवल नौ ही विधायक हैं। योगी आदित्यनाथ को तेलंगाना में स्टार प्रचारक के तौर पर उतारा गया है जो राज्य में आक्रामक चुनाव अभियान चला रहे हैं, खासकर वहां जहां एआईएमआईएम प्रभावित इलाके हैं।
हैदराबाद में 1948 में निजामों का शासन खत्म हो गया कि जब रियासत के शासक को भारत संघ में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा। आजादी के समय, भारत राजनीतिक और कानूनी रूप से दो हिस्से ब्रिटिश भारत और रियासतों के भारत में बंटा हुआ था। संयुक्त क्षेत्रों ने मिलकर भारत की भौगोलिक इकाई बनाई जिसकी अपनी हजारों सालों की सांस्कृतिक समानताएं थीं। आखिरकार स्वतंत्रता के बाद विभाजन हुआ।
हैदराबाद राज्य सबसे बड़ा रियासत वाला राज्य था, जहां सातवें निजाम, मीर उस्मान अली खान शासक थे। निजाम ने तुरंत भारत संघ में विलय होने का फैसला नहीं किया और हैदराबाद को एक संप्रभु राष्ट्र बनाने की कवायद जारी रखी।
आखिरकार कुछ समय बाद भारतीय सरकार के साथ वो एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी हुए जो कि एक तरह से स्थिरता का समझौता था। यह कुछ इस तरह का निर्णय था कि हैदराबाद राज्य में मुस्लिम शासन पर विचार किया जा रहा था।
इस बीच, कांग्रेस, आर्य समाज और कम्युनिस्टों ने हैदराबाद राज्य में निजाम के शासन के खिलाफ कई अभियान शुरू कर दिए।
जब हैदराबाद की ऐसी खबरें नई दिल्ली पहुंचीं तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल चिंतित हो गए। पटेल पहले से ही निजाम के खिलाफ एक जबरदस्त कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल रहे थे ताकि वह लाइन पर आ सकें।
इसके बाद हैदराबाद के निजाम के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नामक एक अभियान शुरू किया गया। इसे पुलिस एक्शन नाम दिया गया था लेकिन यह एक सैन्य अभियान था।
फिर 17 सितंबर, 1948 को भारत की आजादी के 13 महीने बाद हैदराबाद राज्य की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गई। निजाम उस्मान अली खान को हैदराबाद राज्य के राजप्रमुख (राज्य का मुखिया) बनाया गया।
अंतिम निजाम 1956 तक हैदराबाद के राजप्रमुख बने रहे। पुराने हैदराबाद राज्य के क्षेत्र अब तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हैं। फरवरी 1967 में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें हैदराबाद में उनकी इच्छा के अनुसार दफनाया गया।