इसरो ने संचार उपग्रह GSAT-30 का किया सफल प्रक्षेपण, अब मिलेगी 5जी इंटरनेट सेवा

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष में एक ओर उपग्रह जीसैट—30 का आज शुक्रवार 17 जनवरी को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस उपग्रह को यूरोपियन हैवी रॉकेट एरियन—5 से फ्रेंच गुयाना स्थित कौरु द्वीप से प्रक्षेपित किया गया। इस आज तड़के भारतीय समयानुसार 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया। प्रक्षेपण के थोड़ी देर बाद GSAT-30 से एरियन-5 VA251 का ऊपरी हिस्सा सफलतापूर्वक अलग हो गया और अपनी तय कक्षा में स्थापित भी हो गया। यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है।

देश को मिलेगी बेहतर संचार सुविधा

जीसैट-30 का वजन 3357 किलोग्राम है। यह देश का सबसे ताकतवर संचार उपग्रह होगा। इसके लॉन्चिंग के बाद इस उपग्रह से देश की संचार व्यवस्था ओर बेहतर होगी। वर्तमान में जीसैट सीरीज के 14 सैटेलाइट काम कर रहे हैं, इनसे ही देश में संचार व्यवस्था संचालित हो रही है।

इस उपग्रह की मदद से देश के दूरदराज क्षेत्रों और द्वीपों में दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध होने लगेगी। इससे डायरेक्ट-टू-होम (DTH), टेलीविज़न अपलिंक, डिजिटल सैटेलाइट न्यूज़ गैदरिंग (DSNG) और सेल्युलर कनेक्टिविटी की सेवाएं सुचारू रूप से मिल सकेगी। सैटेलाइट बॉडी पर ट्रांसपोंडरों की संख्या को अधिकतम करने के लिए पेलोड डिज़ाइन में सुधार किया गया है।

जीसैट-30

इसकी मदद से देश में नई इंटरनेट टेक्नोलॉजी लाई जाने की उम्मीद है। साथ ही पूरे देश में मोबाइल नेटवर्क फैल जाएगा, जहां अभी तक मोबाइल सेवा नहीं है। इसकी मदद से देश में समाज के लिए काम आने वाली जियोस्पेशियल सुविधाओं, मौसम संबंधी जानकारी और भविष्यवाणी, आपदाओं की पूर्व सूचना और खोजबीन और रेसेक्यू ऑपरेशन में इजाफा होगा।

इस उपग्रह के अपनी जगह पर पहुंच जाने के बाद यह उपग्रह केयू बैंड में भारतीय मुख्य भूमि और द्वीपों को, सी बैंड में खाड़ी देशों, बड़ी संख्या में एशियाई देशों और आस्ट्रेलिया को कवरेज प्रदान करेगा। यह इसरो का इस साल यानी 2020 का पहला मिशन होगा। इसे लेकर तैयारी अंतिम चरण में है।

जीवनकाल

GSAT-30 लॉन्च होने के बाद यह 15 साल तक देश को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराता रहेगा। इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसमें दो सोलर पैनल होंगे और बैटरी होगी जो इसे पावर उपलब्ध करता रहेगा।

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