“लैला” रिव्यू : साल 2047 की कहानी जो आज के बारे में हमारे विश्वास को हिला देती है!

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नेटफ्लिक्स फिलहाल इंडिया के लिए भी वेब सीरीज के माहौल को बदल रहा है। इंडियन सिनेमा भी अब वेब सीरीज की ओर बढ़ रहा है। सीरीज “लैला” भी इसी कड़ी में दर्शकों को निराश नहीं करतीं क्योंकि कुछ नया हमें देखने को मिलता है। ये वेब सीरीज जिसमें हुमा कुरेशी लीड रोल में नजर आ रही हैं दरअसल प्रयाग अकबर के एक उपन्यास पर आधारित है।

यह एक ऐसा शो है जो आपको अपने माहौल से बाहर सोचने पर मजबूर करता है। ऐसे तो लैला का प्लॉट 2047 का है लेकिन इसकी असलियत आपकी ओर आती नज़र आती है। कई चीजों को आप आज के माहौल से रिलेट भी कर सकेंगे।

कहानी पर एक नज़र-

लैला शालिनी (हुमा कुरैशी) की कहानी है जिसकी शादी एक मुस्लिम आदमी रिजवान( राहुल खन्ना) से होती है। वे आर्यवर्त के रहने वाले हैं। आर्यवर्त एक संस्कृति है जो कुलीन लोगों की भूमि माना जाता है। 2047 का मंजर वेब सीरीज में दिखाया जाता है जहां लोग पानी, साफ हवा के लिए तरस रहे हैं। आर्यवर्त की सरकार द्वारा एक सामुदाय शुद्धीकरण भी चलाया जाता है। वेब सीरीज की शुरूआत में शालिनी और रिजवान अपनी बेटी के साथ स्वीमिंग पूल में नहाते मिलते हैं जबकि बाकि लोग साफ पानी और हवा के लिए मर रहे होते हैं।

आर्यवर्त के गार्ड उनके घर में आ जाते हैं और शालिनी को उसके घर से एक शुद्धी शिविर में ले जाया जाता है। उसके पति की हत्या कर दी जाती है और उसे उसकी बच्ची लैला से अलग कर दिया जाता है।

यहीं से पूरी कहानी की शुरुआत होती है। शालिनी का आरामदायक जीवन पल भर में आर्यवर्त के एक गुलाम में बदल जाता है। इस कैंप में औरतों को वापस दुनिया में जाने के लिए अपनी शुद्धता को साबित करना होता है।

इस केन्द्र में महिलाओं को आर्यावर्त कंट्रोल करता है। उनसे जय आर्यवर्त के नारे लगवाए जाते हैं। काम करवाया जाता है। कहानी शालिनी के इर्द गिर्द घूमती है। हुमा ने बेहतरीन एक्टिंग की है। कुल मिलाकर वेब सीरीज एक मां की अपनी बेटी के लिए चाहत की कहानी है जो इस आर्यवर्त राष्ट्र के नियमों में बंध जाती है।

लगभग हर फ्रेम में हुमा दिखाई देती हैं। कैमरे पर उनका इमोशन, गुस्सा और ठहराव देखते ही बनता है। हुमा ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से जस्टिस किया है।

फिर एंट्री होती है एक्टर सिद्धार्थ की जो कि किसी कैंप के मैनेजर होते हैं। कहानी चलती है और दोनों एक दूसरे के खिलाफ फिर एक दूसरे के साथ भी काम करते हैं। भानु(सिद्धार्थ) के अपने मिशन होते हैं वहीं हुमा को अपनी बेटी से मिलना है। सिद्धार्थ ने भी काफी अच्छी एक्टिंग की है।

एक और किरदार है जो अपने आप में हमें और आपकी नजर में रहता ही है और वो है आरिफ जकारिया जिन्होंने फिल्म में गुरू मां का रोल किया है।

वेब सीरीज में आपको लिंग हिंसा, उत्पीड़न की घटनाएं, जातिगत भेदभाव जैसे मुद्दे मिलेंगे। एक सीन में एक आदमी गांधी की तस्वीर छिपाता नजर आता है जो अपने आप में आज की तस्वीर पेश करता है। आर्यवर्त में जोशी जी सबकुछ माने जाते हैं और वे ही इसके सबसे ऊंचे पद पर हैं।

आर्यवर्त में सरकार और धर्म एक हो चुके हैं। पितृसत्ता पिछड़ों दबों को और ज्यादा दबाने का काम करते हैं। पानी के लोग एक दूसरे को मार तक देते हैं। पानी जगह जगह एटीएम में मिलता है। एक सीन में बारिश होती है लेकिन प्रदूषण के कारण वो भी काली। फ्रीडम ऑफ स्पीच को जैसे एक गुनाह माना जाता है।

डायरेक्शन की बात करें तो उसने भी बेहतर किया है। अच्छे डायरेक्शन और एक अच्छे कॉन्सेप्ट के कारण शो काफी थ्रिलिंग हो जाता है। आप शो के साथ सोचने पर मजबूर हो जाते हैं आज क्या सही है और क्या गलत। शो उस वास्तविकता से हमें रूबरू करवाता है जिसमें हम हमारे आज को कल जैसा पाते हैं।

लैला जैसी वेब सीरीज को जरूर देखा जाना चाहिए। कुछ एपिसोड स्लो नजर आते हैं लेकिन स्क्रिप्ट की डिमांड भी रखते हैं।

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