जानें यासीन मलिक की पार्टी जेकेएलएफ पर केन्द्र सरकार ने क्यों लगाया बैन?

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17वीं लोकसभा के लिए अप्रेल-मई माह में सात चरणों में होने वाले चुनावों में अब ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है। यही कारण है कि आजकल देश में हर ओर राजनीतिक माहौल नज़र आ रहा है। चुनावी माहौल के बीच केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) पर बैन लगा दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से इस बात की पुष्टि हो गई है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि केन्द्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पार्टी पर प्रतिबंध क्यों लगाया है..

इस कारण केन्द्र सरकार ने लगाया जेकेएलएफ पर प्रतिबंध

केन्द्र सरकार ने कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के क़ाफ़िले पर हुए फिदायीन हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई तेज कर दी है। दरअसल, यासीन मलिक के जेकेएलएफ की देश विरोधी गतिविधियां 1988 से जारी थी। कथित तौर पर ऐसा कहा जाता है कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम में यासीन मलिक का हाथ था। इस यासीन के जेकेएलएफ पर मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया के अपहरण, एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या जैसे गंभीर आरोप लगे हुए हैं।

पत्थरबाजी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए फंड एकत्र करता है जेकेएलएफ

अलगाववादी नेता यासीन मलिक के जेकेएलएफ पर आरोप है कि यह संगठन पत्थरबाजी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए फंड एकत्र करवाने का काम करता है। इसके साथ ही यह लोगों को भड़काने का काम भी करता है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस जेकेएलएफ के खिलाफ 37 FIR, सीबीआई ने 2 और एनआईए ने एक मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि इससे पहले भारत सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जे एंड के पर 28 फरवरी को बैन लगाया था। इस संगठन ने हिजबुल मुजाहिद्दीन को तैयार करने में मदद की थी। केन्द्र सरकार ने दलील दी थी कि संगठन की गतिविधियां राष्ट्रविरोधी हैं और वह हिंसक गतिविधियों में शामिल हैं।

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उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के कई अलगाववादी नेताओं को केन्द्र सरकार द्वारा सरकारी सुरक्षा दी गई थी। लेकिन 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले के बाद इन नेताओं से सुरक्षा वापस ले ली गई है। केन्द्र सरकार का कहना है कि जेकेएलएफ की गतिविधियां भारत की एकता और संप्रभुता के लिए खतरा हैं। जानकारी के लिए बता दें कि अलगाववादी नेता यासीन मलिक को 7 मार्च को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किया। फिलहाल यासीन को भलवाल जेल में रखा गया है। पुलवामा हमले के बाद केन्द्र सरकार राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले के ख़िलाफ़ बड़े सख़्त कदम उठा रही है।

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