अयोध्या विवाद को लेकर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हाल में कोर्ट ने विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाने हुए आदेश जारी किया। 5 जजों की संवैधानिक बेंच राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में सुनवाई कर रही है। एससी ने मध्यस्थता के लिए 3 सदस्यों का एक पैनल बनाया है।
इस पैनल में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एफएम कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू को शामिल किया गया है। जस्टिस कलीफुल्ला को इस पैनल का चैयरमेन बनाया गया है। माना यह जा रहा है मध्यस्थता के बीच कार्यवाही 8 हफ्तों तक चलेगी।
कौन है जस्टिस कलीफुल्ला ?
सुप्रीम कोर्ट में जज की भूमिका निभा चुके इब्राहिम कलीफुल्ला को रामजन्म भूमि-बाबारी मस्जिद विवाद में मध्यस्थ की भूमिका के लिए नियुक्त किया गया है। कलीफुल्ला इससे पहले जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के भी चीफ जस्टिस पद पर रह चुके हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (BCCI) पर उठ रहे सवालों के दौर में जस्टिस लोढ़ा कमेटी के साथ किए गए काम के लिए कलीफुल्ला को जाना जाता है। इसके अलावा वो अपने कई फैसलों के लिए जाने गए।
तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में कराईकुडी के रहने वाले न्यायमूर्ति कलीफुल्ला 23 जुलाई 1951 को पैदा हुए। जस्टिस कलीफुल्ला का पूरा नाम फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला है।
20 अगस्त 1975 को एक वकील के तौर पर अपने कॅरियर की शुरूआत करने वाले कलीफुल्ला वकालत के दिनों में श्रम कानूनों के काफी अच्छे जानकार माने जाते थे।
जज बनने से पहले उन्होंने कई सार्वजनिक और निजी कंपनियों के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों में भी कई जिम्मेदारियां संभाली है।
श्रीराम पंचू
मध्यस्थता वाली टीम में दो और सदस्य हैं जिनमें एक श्रीराम पंचू हैं जो कि जाने माने वकील हैं। कोर्ट से बाहर मुद्दों को सुलझाने का पंचू का अपना एक शानदार अनुभव रहा है। पंचू ने इससे पहले देश के कई वीवीआईपी मामलों में मध्यस्थता की है जिनमें कई कॉरपोरेट और कॉन्ट्रैक्ट के मामले शामिल रहे हैं।
श्री श्री रविशंकर
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर आर्ट्स ऑफ लिविंग के प्रमुख है। श्री श्री रविशंकर काफी लंबे समय से इस मामले में आपसी सुलह से इसे सुलझाने में लगे हुए हैं। हालांकि मध्यस्थ के तौर पर उनका कुछ जगह विरोध भी हो चुका है।