हिंदी सिनेमा में बायोपिक फिल्मों का स्वर्णिम दौर चल रहा है। फिल्म निर्माता, निर्देशक अब असल जिंदगी की कहानियों को पर्दे पर उतारने का बीड़ा उठा रहे हैं। ‘दंगल’, ‘मैरी कॉम’, ‘नीरजा’, ‘एयरलिफ्ट’, ‘संजू’, ‘सरबजीत’, ‘सुपर-30’, ‘पैडमैन’, ‘दी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’, ‘सूरमा’ जैसी बायोपिक शामिल हैं। इन फिल्मों ने ना सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की बल्कि दर्शकों और क्रिटिक्स की भी तारीफें बटोरी थी।
बायोपिक की लिस्ट में अब एक और नाम शामिल हो गया है। हम बात कर रहे है प्रियंका चोपड़ा, फरहान अख्तर और जायरा वसीम स्टारर फिल्म ‘स्काई इज पिंक’ की। जो 11 अक्टूबर यानि आज रिलीज हो चुकी है। जो दर्शकों को खूब पसंद आ रही है। यह फिल्म आम लड़की आयशा चौधरी की जिंदगी पर आधारित है। जिसने महज 19 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था।
कौन है आयशा चौधरी जिसपर बनी है बॉलीवुड फिल्म
आयशा का जन्म 27 मार्च 1996 को दिल्ली में नीरेन और अदिति चौधरी के घर में हुआ। घर में बेटी के जन्म से सभी बेहद खुश थे और खुशियां मना रहे थे। मगर नीरेन और अदिति की ये खुशी ज्यादा समय नहीं रही। उन्हें पता चला कि उनकी बेटी आयशा जन्म से ही SCID (Severe Combined Immunodeficiency) नाम की बीमारी से ग्रसित है। जिसके चलते महज 6 महीने की आयशा का बोन मैरो ट्रांसप्लाट करना पड़ा। आयशा की मुसीबत यहीं नहीं खत्म नहीं हुई। 13 साल की उम्र में आयशा को पल्मरी फाइब्रोसिस बीमारी ने जकड़ लिया। यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसका मेडिकल में भी कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी के बाद मरीज महज 2 से 5 साल तक ही जिंदा रह पाता है। हालांकि थेरेपी और ट्रीटमेंट की मदद से इस रोग की गति को कम कर जीने के कुछ साल बढ़ाए जा सकते हैं।
कम उम्र में बनी मोटिवेशनल स्पीकर
आयशा का बचपन सामान्य बच्चों की तरह बिल्कुल नहीं था। आयशा बचपन से ही कई बड़ी और गंभीर बीमारियों से जूझ रही थी। बेहद कम उम्र में आयशा जिंदगी और मौत का बेहद करीब से अनुभव ले रही थी। इन सबके बावजूद आयशा अपनी जिंदगी को लेकर कभी हताश नहीं हुई।
आयशा का जिंदगी जीने का नजरिया काफी पॉजिटिव था। मौत की परवाह किए बगैर आयशा ने अपनी जिंदगी को पूरी जिंदादिली के साथ जिया। आयशा ने अपनी जिंदगी के हर पल को खुलकर जिया। यही वजह थी कि आयशा बेहद कम उम्र में मोटिवेशनल स्पीकर बनी। आयशा बेहद कम उम्र में ही TEDx, INK जैसे प्लेटफॉर्म पर स्पीच देना शुरू कर दिया था।
आयशा के फेफड़े 35 प्रतिशत करते थे काम
आयशा की जिंदगी भले ही ज्यादा लंबी ना हो मगर उन्होंने कम उम्र में ही कई बड़े कामों को अंजाम दिया है। आयशा ने अपनी जिंदगी में कभी हार नहीं मानी। उन्होंने कभी अपने सपनों के आगे अपनी हेल्थ को नहीं आने दिया। आयशा चौधरी के फेंफड़े का सिर्फ 35 प्रतिशत हिस्सा ही काम कर रहा था। जिसके कारण उन्हें चलने फिरने में परेशानी होती थी। ठीक से सांस नहीं ले पाने के कारण वे जल्द ही थक जाती थी। इसके बावजूद उन्होंने लोगों को मोटिवेट करने का काम जारी रखा।
कम उम्र में ही आयशा ने लिखी किताब
दिन पे दिन बढ़ती तकलीफ के कारण उनका घर से बाहर जाना बंद हो गया और उनका अधिकांश समय बिस्तर पर ही गुजरने लगा। आयशा की मां ने एक इंटरव्यू में बताया है कि, ‘उसे लिखने का काफी शौक था। जब वह बिस्तर पर थी। मैंने उसे एक किताब पढ़ने को दी। इस किताब को पढ़ने के बाद आयशा ने कहा कि- मैं इससे बेहतर लिख सकती हूं।’ अपने आखिरी समय में आयशा ने अपनी जिंदगी को एक किताब का रूप दिया। जिसका नाम ‘My Little Epiphanie’था। यह किताब जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रकाशित की गई। 24 जनवरी 2015 में किताब की लॉन्चिंग के महज कुछ घंटों बाद ही आयशा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
फिल्मी पर्दे पर नजर आएगी आयशा की कहानी
रिलीज के लिए तैयार बॉलीवुड फिल्म ‘स्काई इज पिंक’ में आयशा का किरदार जायरा वसीम निभा रहीं है। प्रियंका चोपड़ा और फरहान अख्तर उनके पेरेंट्स के रोल में है। फिल्म में एक खूबसूरत लव स्टोरी को इमोशनल एंगल के साथ पर्दे पर पेश किया जा रहा है। ये पूरी तरह से आयशा की 18 साल की जिंदगी का सफरनामा बयां करेगी। फिल्म का निर्देशन शोनाली बोस ने किया है।