किसी मुस्लिम देश की कमान संभालने वाली महिलाओं को जब इतिहास याद करेगा तो बेनजीर भुट्टो का नाम सबसे ऊपर लिया जाएगा। किसी ने नहीं सोचा था कि बचपन की पिंकी आगे चलकर पाकिस्तान की 11वीं प्रधानमंत्री बनेगी। आज बेनजीर के जन्मदिन पर आइए जानते हैं इस महान महिला के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें…
ऑक्सफोर्ड यूनियन अध्यक्ष बनने वाली पहली एशियाई महिला
बेनजीर का जन्म 21 जून, 1953 को पाकिस्तान के कराची में हुआ। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। ऑक्सफोर्ड के दौरान बेनजीर को वहां की यूनियन अध्यक्ष भी चुना गया। 1977 में उनका ग्रेजुऐशन पूरा हुआ जिसके बाद वो विदेश सेवा के लिए तैयारी करना चाहती थी।
लेकिन बेनजीर का मुकद्दर उन्हें कहीं और ले जाना चाहता था, उसी समय उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। सत्ता और सेना की तकरार इतनी बढ़ गई कि जनरल जिया-उल-हक ने तख्तापलट कर जुल्फिकार को सत्ता से बाहर कर दिया और 1979 में उन्हें फांसी दे दी। भुट्टो परिवार को नजरबंद कर दिया गया जिसके कारण वो ब्रिटेन में निर्वासन पर चले गए।
निर्वासन से लौटकर बनी लोकप्रिय नेता
कुछ साल निर्वासन पर रहने के बाद 1986 में जब बेनजीर अपने परिवार के साथ लौटीं और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) नेता के रूप में लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई। जब बेनजीर लाहौर एयरपोर्ट पर उतरी तो वहां से रैली मैदान तक जाने के लिए उनके काफिले को 10 घंटे लगे। एक साल बाद 1987 में बिजनेसमैन आसिफ अली जरदारी से निकाह किया।
पहली महिला मुखिया
1988 में बेनजीर ने पहला चुनाव जीता और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी। पाकिस्तान जैसे कट्टरपंथी सोच वाले देश में किसी महिला का इतने ऊंचे पद पर पहुंचना आसान नहीं था। कई नेता और कट्टरपंथी समूहों ने उनका जमकर विरोध किया लेकिन वो डटी रहीं।
बेनजीर का जीवन आज भी कई महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। 27 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी में उनको गोलियों से भून दिया गया जहां 1979 में उनके पिता को फांसी के फंदे पर लटकाया।