भारत आज दुनिया के तेजी से आगे बढ़ते विकासशील देशों में से एक हैं। आज़ादी के 70 साल बाद भी भले ही आज हम विकसित देशों की श्रेणी में नहीं खड़े हैं। इसके बावजूद हमने कई क्षेत्रों में खुद को साबित कर लोहा मनवा दिया है। आज देश कई मामलों में विश्व में नम्बर वन बना हुआ है। हाल ही भारत के नाम एक और नई उपलब्धि दर्ज हुई है। इस बार हमारे देश ने पड़ोसी मुल्क चीन को मात देते हुए नम्बर एक का ताज अपने नाम किया है। भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी इंट्रीगल कोच फैक्ट्री यानी आईसीएफ ने यह काम कर दिखाया है। आईसीएफ चालू वित्त वर्ष में करीब 3 हजार रेलवे कोच बनाकर सबसे बड़ी कोच निर्माता फैक्ट्री बन गई है। इस मामले में अब तक चीन शीर्ष पर था लेकिन अब पड़ोसी देश को पीछे छोड़ते हुए भारत टॉप पर पहुंच गया है। आइये जानते हैं आईसीएफ का क्या काम करता है और इसका क्या इतिहास रहा है..
क्या है आईसीएफ?
इंट्रीगल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी कोच निर्माता यानी रेल डिब्बों निर्माण करने वाली फैक्टी है। यह भारत के तमिलनाडु राज्य के चेन्नई में स्थित है। आईसीएफ की स्थापना 1952 में हुई थी और 2 अक्टूबर, 1955 को इसने निर्माण शुरू किया। सबसे पहले इसने दक्षिण रेलवे के लिए तृतीय श्रेणी के शेल्स का उत्पादन किया था। यह पूरी तरह से भारतीय रेलवे के स्वामित्व वाली और उसके द्वारा संचालित कोच फैक्ट्री है। आईसीएफ मुख्य रूप से भारतीय रेलवे के लिए रोलिंग स्टॉक बनाती है लेकिन अन्य देशों को भी कोच का निर्यात करती है। इसने वित्त वर्ष 2017-2018 में नया रिकॉर्ड बनाते हुए 2503 कोच का निर्माण किया था। 2018-2019 के लिए इंट्रीगल कोच फैक्ट्री ने 3000 रेल डिब्बों के निर्माण का लक्ष्य रखा है।
इन देशों को कोच की सप्लाई करती है आईसीएफ
भारतीय रेलवे की इंट्रीगल कोच फैक्ट्री यहां निर्माण किए गए रेल डिब्बों को दूसरों देशों में निर्यात करती है। यहां से एशिया और अफ्रीका दो महाद्वीपों के कई देशों को कोच सप्लाई किए जाते हैं। इनमें बांग्लादेश, म्यांमार, ताईवान, श्रीलंका, थाइलैंड, अंगोला, नाइजीरिया, तंजानिया, यूगांडा, जाम्बिया और मोजाम्बिक जैसे एशियाई और अफ्रीकी देश शामिल हैं। आईसीएफ एलएचबी, स्वचालित ट्रेन सेट यानी एसपीटी और इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स यानी ईएमयू कोच की रेंज का उत्पादन करता है।
विनिर्माण
इंट्रीगल कोच फैक्ट्री में मुख्य रूप से दो विभाग है। पहला शेल डिवीजन और दूसरा फर्निशिंग डिवीजन। शेल डिवीजन रेल कोच के ढ़ांचे का निर्माण करता है जबकि फर्निशिंग डिवीजन कोच के अंदरूनी सुविधाओं से संबंधित काम करता है। आईसीएफ 170 प्रकार के रेल कोच का निर्माण करता है। पंश्चिम बंगाल के हल्दिया में इसकी डीजल मल्टीपल यूनिट के लिए एक सहायक इकाई का निर्माण किया जा रहा है। आईसीएफ में फिलहाल 11 हजार से कर्मचारी काम करते हैं। ये साल भर में करीब 3000 कोच का निर्माण कर रहे हैं। 18 अगस्त, 2015 तक यह 50 हजार रेल डिब्बों का निर्माण कर चुका था। इस के हिसाब से इंट्रीगल कोच फैक्ट्री ने औसतन 20 दिन में एक डिब्बे का निर्माण किया।
सालाना 2600 रेल कोच का निर्माण करने वाले चीन को पीछे धकेला
रेलवे के अनुसार, चेन्नई स्थित आईसीएफ ने अब तक सबसे ज्यादा रेल कोच का निर्माण करने वाली चीन की फैक्ट्री को पीछे छोड़ दिया है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने चालू वित्त वर्ष में करीब तीन हजार रेलवे कोच बनाकर दुनिया की सबसे बड़ी कोच निर्माता फैक्ट्री बन गई है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि सिर्फ फरवरी में ही तीन सौ कोच का निर्माण किया गया है। पिछले साल लगभग 2600 रेल कोच का निर्माण किया था। इससे पहले 2017 में फैक्ट्री ने 1,976 रेल कोच का ही निर्माण किया था। रेल अधिकारी ने दावा किया कि जिस तेजी से कोच का निर्माण हो रहा है, इस बात की पूरी उम्मीद है कि मार्च में इस वित्त वर्ष के खत्म होने तक यहां 3,200 से ज्यादा रेल कोच का निर्माण पूरा हो जाएगा। गौरतलब है कि देश में इसके अलावा पांच अन्य रेल कोच फैक्ट्रियां भी हैं।
सबसे तेज ट्रेन वंदे भारत के कोच का भी आईसीएफ कर रहा है निर्माण
देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन वंदे भारत के कोच का निर्माण भी आईसीएफ ने ही किया था, इसके अलावा तेजस के वैगन भी यहीं बने थे। रेलवे की ओर से आईसीएफ को वंदे भारत एक्सप्रेस के 44 ट्रेन सेट बनाने का ऑर्डर मिला है, जिसमें से अब तक एक ट्रेन सेट दिया जा चुका है। शेष 43 ट्रेन सेट का निर्माण अगले तीन वर्षों के भीतर पूरा किए जाने का लक्ष्य है।
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