जानिये.. 70 साल में कितनी बदल गई है हमारी लोकसभा?

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स्वतंत्र भारत के 70 साल के इतिहास में 17वीं बार लोकसभा चुनाव शुरु होने में अब महज़ एक दिन और बाकी रह गया है। 1951-52 में हुई आम चुनाव की शुरुआत अब 2019 तक पहुंच चुकी है। इस चुनाव से पहले भारत में काफी कुछ बदला है। 16 लोकसभा चुनावों के बीच हमारी संसद में कई बदलाव आए हैं। लोकसभा की बात कि जाए तो हमारी लोकसभा कुछ मायनों में सुधरी है और कुछ में हालात और बेहतर होने की उम्मीद की जा सकती है। हर लोकसभा चुनाव के साथ पढ़े-लिखे सांसदों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। दूसरी ओर जो बात परेशान करती दिखती है वो यह है कि लोकसभा में काम के घंटे कम हुए हैं। साथ ही महिलाओं की भागीदारी भी उतनी तेजी से नहीं बढ़ी है जिसकी उम्मीद की गई थी। देश में आम चुनाव के माहौल के बीच आइये जानते हैं लोकसभा में आए प्रमुख बदलावों के बारे में..

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16वीं लोकसभा में 75 प्रतिशत सांसद स्नातक पास

देश में पहले चुनाव के मुकाबले सांसदों की शिक्षा का प्रतिशत कई गुना बढ़ चुका है। अब देश की लोकसभा में ऐसे कम ही सांसद है जो मैट्रिक भी पास नहीं है। 2014 में बनीं 16वीं लोकसभा में 75 प्रतिशत सांसद स्नातक शिक्षा प्राप्त कर चुके थे जबकि 1951-1952 के पहले चुनाव में केवल 23 प्रतिशत ही सांसद ऐसे थे जिन्होंने 10वीं तक भी पढ़ाई नहीं की थी। जबकि पिछली ​लोकसभा में सिर्फ 13 फीसदी ही सांसद ऐसे हैं जिन्होंने मैट्रिक क्लास भी पास नहीं की है।

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16वीं लोकसभा में 56 साल तक पहुंची औसत उम्र

1951-1952 की पहली लोकसभा में सांसदों की औसत उम्र 46.5 साल थी जो 16वीं लोकसभा में 56 साल तक पहुंच गई। आज़ादी के करीब सत्तर साल के इतिहास में यह दूसरा सबसे उम्रदराज सदन रहा। 2009 में देश के 43 प्रतिशत सांसद 56 या उससे ज्यादा उम्र के थे। उस वक्त औसत उम्र 57.9 थी। सबसे ख़ास बात यह है कि देश की पहली लोकसभा में कोई भी सांसद 70 वर्ष के पार नहीं था। लेकिन 2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में यह 7 फीसदी पर पर आ गया। अगर बात करे 40 साल से नीचे के सांसदों की तो भी पहली लोकसभा के मुकाबले 16वीं लोकसभा में 26 प्रतिशत सांसद कम हुए हैं।

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2014 के आम चुनाव में 62 महिलाएं पहुंची लोकसभा

करीब पांच साल पहले 2014 के आम चुनाव में 62 महिलाएं यानी करीब 11.4 फीसदी लोकसभा पहुंची। यह आंकड़े पहली लोकसभा जिसमें 24 महिलाएं लोकसभा पहुंची थी, से बेहतर जरूर है, लेकिन फिर भी हालात चिंताजनक कही जा सकती हैं। इस मामले में भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लोदश में भी आगे है। पड़ोसी देश नेपाल में 29.6, बांग्लादेश में 20.3 और पाकिस्तान में 20.0 प्रतिशत महिलाएं लोकसभा पहुंची हैं।

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पिछले पांच साल के दौरान 16वीं लोकसभा में कुल 1,615 घंटे काम हुआ है। आंकड़ों के हिसाब से यह 15वीं लोकसभा के मुताबिक 20 प्रतिशत ज्यादा था, लेकिन अगर अबतक लोकसभा में काम के कुल घंटों का औसत (2,689 घंटे) निकाला जाए तो यह पहली लोकसभा से करीब 40 प्रतिशत कम है। लोकसभा की कार्यवाही कुल 331 दिन हुई जो कि पूर्णकालिक लोकसभाओं के औसत से 137 दिन से बहुत कम है।

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