गंगा : गडकरी ने करोड़ों की घोषणाएं की पर 121 दिन से भूखे-प्यासे आत्मबोधानंद की सुध तक नहीं ली !

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देश की सबसे पवित्र नदी गंगा फिलहाल अपने सबसे बुरे दौर में है। सरकार की तरफ से जहां जून 2014 में गंगा को साफ करने के लिए “नमामि गंगे” प्रोजेक्ट शुरू किया तो गंगा की अविरलता वापस कायम करने के लिए कई संत और स्वामी भी काफी समय से सरकार से गंगा के लिए अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

इसी लड़ाई में एक थे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल जो गंगा की अविरलता के लिए और विशेष एक्ट बनाने की मांग पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने का कहते रहे या हरिद्वार आकर देखने की गुहार लगाते रहे लेकिन लंबा इंतजार करने के बाद नितिन गडकरी तो नहीं आए, पर 11 अक्टूबर को 111 दिन बिना खाए-पीए अनशन पर बैठे जीडी अग्रवाल के पास मौत ने दस्तक दे दी।

आपको बता दें कि जी डी अग्रवाल गंगा में अवैध खनन, बांधों जैसे बड़े निर्माण को रोकने और उसकी सफ़ाई को लेकर 22 जून से 111 दिनों तक अनशन पर बैठे रहे। सानंद जी के निधन के ठीक बाद मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद 24 अक्टूबर 2018 से गंगा के लिए अनशन पर बैठे हैं। आप सोच रहे होंगे कि आज अचानक इन संतों का जिक्र क्यों किया जा रहा है आइए इसकी भी वजह बताते हैं।

गंगा के लिए अनशनकारियों का गडकरी ने जिक्र तक नहीं किया

सरकार के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बृहस्पतिवार को “नमामि गंगे” प्रोजेक्ट के सिलसिले में हरिद्वार पहुंचे। जहां कई लोकार्पणों से फ्री होकर गडकरी ने गंगा के लिए भी कई घोषणाएं कर डाली।

गडकरी ने गंगा को लेकर अपनी सरकार की पीठ थपथपाई और खुद के प्रयासों का खूब जमकर ढ़ोल बजाया। जब वर्तमान कामों को गिनाकर पीठ में दर्द होने लगा तो माननीय मंत्री जी ने सरकार की भावी योजनाओं वाला रजिस्टर भी वहां खोल लिया….लेकिन,

जिस अविरलता और पवित्रता को वापस लाने की बात सरकार कर रही है उसके लिए भूखे-प्यासे रहकर प्राण त्याग चुके गंगा पुत्र और प्रख्यात वैज्ञानिक स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का कहीं जिक्र तक नहीं किया। चलिए मान लेते हैं उनको तो श्रृद्धांजलि देने वाली खानापूर्ति नितिन गडकरी पहले कर चुके।

लेकिन वर्तमान में 121 दिनों से अनशन कर रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद जो अभी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं उनकी भी सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। गडकरी या वहां मौजूद किसी नेता को इनमें से किसी की याद नहीं आई।

कौन है स्वामी आत्मबोधानंद ?

केरल से कंप्यूटर साइंस में चौथे सेमेस्टर के बाद कॉलेज छोड़कर जीवन का सार अध्यात्म में तलाशने चार साल पहले एक नौजवान मातृसदन, हरिद्वार में आया और गुरू गुरुदेव स्वामी शिवानन्द महाराज से दीक्षा ग्रहण की। आश्रम में इस युवक को स्वामी आत्मबोधानंद नाम मिला।

आत्मबोधानंद ने अपनी यात्रा दक्षिण से उत्तर में उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम तक से शुरू की। यात्रा के दौरान मां गंगा की दयनीय दशा देखी और फिर मातृसदन आश्रम में रहकर गंगा के बारे में जाना।

स्वर्गीय सानंद जी के 111 दिन के उपवास और उनकी मौत के बाद 24 अक्टूबर 2018 से आत्मबोधानंद ने अनशन शुरू किया। स्वामी आत्मबोधानंद का कहना है कि इस देश के लोगों को गंगा की चिंता करनी चाहिए।

 

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