राजस्थान : BJP-कांग्रेस से नहीं थी पहली महिला विधायक, बड़ी दिलचस्प है जीत की कहानी 

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देश की 5 विधानसभाओं में होने वाले चुनाव 7 दिसंबर को राजस्थान में होने जा रहे हैं। ऐसे में राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री का ताज पहनने वाली वसुंधरा राजे की इस बार परीक्षा की घड़ी है। प्रदेश की सभी 200 सीटों पर सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिए हैं।

हर बार की तरह इस बार भी कई महिला नेताओं पर दांव खेला गया है। इस बार उतारे गए 2294 प्रत्याशियों में से 189 महिलाओं को टिकट दिया गया है। पिछले चुनाव की बात करें तो 166 महिला प्रत्याशियों में से 28 ने सीटें जीती थी।

बीजेपी की तरफ से जहां इस बार 23 महिलाएं मैदान में है वहीं कांग्रेस ने 27 महिलाओं को टिकट दिया है। इसके अलावा बीएसपी की तरफ से 15 महिला मैदान में है तो निर्दलीय और अन्य सभी दलों से इस बार चुनावों में 124 महिलाएं मैदान में हैं। राजस्थान की राजनीति में आजादी के बाद से ही महिलाओं का अहम रोल रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं आजादी के बाद बनी पहली सरकार में शामिल महिला विधायक के बारे में।

पहले विधानसभा चुनाव में नहीं जीती एक भी महिला

आजादी के बाद देश में 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में राज्य की 4 सीटों से 4 महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी। पहले विधानसभा चुनाव में फागी से चिरंजी देवी, जयपुरशहर से वीरेन्द्रा बाई, उदयपुर शहर से शांता देवी (निर्दलीय) और सोजत मेन से रानीदेवी शामिल हुई लेकिन कोई भी महिला जीत का सेहरा नहीं बंधवा पाई।

बांसवाड़ा से निकली राज्य की पहली महिला विधायक

बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर कुछ कारणों से चुनाव को खारिज कर दिया गया जिसके बाद चुनाव फिर से करवाए गए और इस उपचुनाव में पहली बार पीएसपी पार्टी से यशोदा देवी ने जीत हासिल की। यशोदा ने 14 हजार 862 हासिल कर छह हजार 411 वोटों से भारी जीत दर्ज की।

यशोदा देवी के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं। उनका जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा गांव में हुआ। यशोदा की पढ़ाई वनस्थली विद्यापीठ से हुई। अपने राजनीतिक कॅरियर में यशोदा ने दो बार चुनाव जीता और कई सामाजिक संगठनों में भी काम किया।

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