केदार जाधव एक बार फिर फिट हो चुके हैं और खेलने के लिए तैयार हैं। लेकिन उनका एक बयान इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल केदार का कहना है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ बाकी बचे तीन वनडे मैचों में नहीं चुने जाने के बारे में उनको जानकारी नहीं दी गई थी। केदार के यूं नाराजगी जाहिर करने के बाद मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद को आगे आना पड़ा और उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि बल्लेबाज के चोटिल होने के पुराने इतिहास के कारण टीम में नहीं चुना गया। देवधर ट्रॉफी के बीच में जाधव को भारत ए टीम में जगह दी गई क्योंकि चयनकर्ता उनकी वापसी पर फैसला करने से पहले उनकी फिटनेस परखना चाहते थे।
25 गेंदों में 41 रन की पारी
राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की मौजूदगी में जाधव ने 25 गेंद में नाबाद 41 रन की पारी खेली और पांच ओवर भी फेंकते हुए अपना दावा पेश किया लेकिन देवधर ट्रॉफी मैच के दौरान घोषित हुई टीम में महाराष्ट्र के इस खिलाड़ी को जगह नहीं दी गई। 33 साल के जाधव का कहना है कि देखते हैं क्या होता है! मुझे यह देखने कि जरूरत है कि उन्होंने मुझे क्यों नहीं चुना? मैं टीम में नहीं था इसलिए मुझे नहीं पता कि क्या योजना है। शायद मैं रणजी ट्रॉफी में खेलूंगा।
फिटनेस ही बन रही बाधा
जाधव की फिटनेस ही उनके चयन में बाधा बन रही है। चयनकर्ताओं के फैसले को सही बताते हुए प्रसाद का कहना है, जाधव को वापसी के लिए ज्यादा से ज्यादा घरेलु मैच खेलने चाहिए। जाधव के फिटनेस के इतिहास को देखते हुए ही उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया है। पहले भी कई बार उन्होंने फिट होकर वापसी की लेकिन पुन: चोटिल हो गए। हम सोच रहे थे कि अगर भारत ए जीत दर्ज करने में सफल रहता है तो केदार को एक अन्य मैच खेलने के लिए मिल जाएगा, जिससे हमें उनकी मैच फिटनेस का सही आकलन करने का मौका मिल जाता। हम उन्हें चौथे वनडे से पहले (भारतीय टीम में) एक अतिरिक्त खिलाड़ी के रूप में शामिल कर सकते थे। गौरतलब है कि जाधव ने पिछले महीने एशिया कप के दौरान टीम में वापसी की थी लेकिन फाइनल में मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या फिर उभरने के कारण उन्हें दोबारा रिहैबिलिटेशन से गुजरना पड़ा। इस बारे में जाधव का कहना था, बेशक जब आप फार्म में हो और चोटिल हो जाएं तो पीड़ा पहुंचती है। इससे अनिश्चितता पैदा होती है कि आपको अगला मौका कब मिलेगा। जब आप वापसी करते हैं तो आपको शून्य से शुरुआत करनी होती है।
चयन की एक निश्चित प्रक्रिया
प्रसाद का कहना है कि खिलाड़ियों को यह समझना चाहिए कि टीम का चयन करते समय हम एक निश्चित प्रक्रिया का अनुसरण करते हैं। खिलाड़ियों के साथ संवादहीनता के लिए चयनकर्ताओं को पिछले कुछ समय में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है और जाधव के मामले ने एक बार फिर इस बहस को छेड़ दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले करुण नायर और मुरली विजय ने कहा था कि टेस्ट टीम से बाहर किए जाने से पहले चयनकर्ताओं ने उनसे बात नहीं की थी।