बॉलीवुड की मशहूर सिंगर कविता कृष्णमूर्ति आज 25 जनवरी को अपना 64वां बर्थडे मना रही हैं। भारतीय सिनेमा में कविता को उनकी बेहतरीन गायिकी के लिए जाना जाता है। कविता का जन्म वर्ष 1958 में दिल्ली में हुआ था। कविता जब आठ साल की थीं तो उन्होंने एक गायन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता। तभी से वह बड़ी होकर एक मशहूर गायिका बनने का सपना देखने लगी थीं। इस ख़ास मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
बॉलीवुड की 90 की दशक की वीमन सिंगर्स की बात की जाए तो कविता कृष्णमूर्ति का नाम जरूर आता है। वे ऐसी प्रतिभावान सिंगर हैं जिन्होंने हर तरह के गाने गाए हैं और वे गाने आज भी पसंद किए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कविता के नाम से मशहूर इस सिंगर का असल नाम शारदा है। उन्हें अपना नाम मजबूरी में बदलना पड़ा था। दरअसल कविता शुरुआती दिनों में स्टेज परफॉर्मेंस दिया करती थीं। उन्होंने मन्ना डे, हेमंत कुमार, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे लोगों के साथ स्टेज शेयर किया।
उसी दौर में एक और सिंगर हुआ करती थीं जिनका नाम था शारदा राजन। इनका एक गाना उस समय काफी हिट हुआ था, जिसके बोल थे ‘तितली उड़ी…’। लेकिन यह गाना कविता के लिए परेशानी का सबब बन गया था। दरअसल वे जहां भी परफॉर्म करने जाती उनसे यह गाना गाने के लिए रिक्वेस्ट की जाती। तब कविता को बताना पड़ता था कि यह गाना शारदा राजन ने गाया था और मैं शारदा कृष्णमूर्ति हूं।
लेकिन बार-बार हो रही इस गफलत से बचने के लिए हेमंत कुमार ने शारदा को उनका नाम बदलने की हिदायत दी। हेमंत और शारदा की मां ने मिलकर उनका नाम ‘कतिता’ रख दिया। बस, तब ही से हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में कविता का नाम बेहतरीन सिंगर के तौर पर शामिल किया जाने लगा।
बड़ों से मिला बेटी जैसा प्यार
कविता ने ना सिर्फ इंडस्ट्री में नाम कमाया बल्कि अपने सीनियर्स का प्यार भी कमाया। मन्ना डे, हेमंत कुमार, ल्क्ष्मीकांत जैसे दिग्गज कविता को अपनी बेटी की तरह प्यार करते थे। इन सभी को कविता की गायिकी काफी पसंद थी। उस दौर का एक किस्सा याद करते हुए कविता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक दिन उनके पास मन्ना डे के साथ ढोलक बजाने वाले श्याम राव का फोन आया, उन्होंने कहा कि मन्ना डे सूरत में शो कर रहे हैं और वे आपको वहां बुला रहे हैं। कविता जब वहां पहुंची तो मन्ना डे रियाज़ कर रहे थे, कविता उनकी आवाज सुनकर मंत्रमुग्ध थीं।
मन्ना डे ने जब उन्हें देखा तो उन्हें अंदर बुलाया और पूछा कि क्या मेरे साथ डुएट गाओगी। यह कविता के लिए बड़ा अहम पल था। उन्होंने उस शाम मन्ना डे के साथ सुर से सुर मिलाए और ‘ये रात भीगी भीगी…’ गीत गाया। इस दौरान कविता काफी डरी हुई थीं लेकिन उन्होंने सभी गाने काफी अच्छे से गाए और इसका नतीजा यह हुआ कि उन्होंने मन्ना डे के साथ 18 साल तक विभिन्न स्टेज शो किए।
नितिन मुकेश थे सीनियर
गायक मुकेश के बेटे नितिन मुकेश कॉलेज में कविता कृष्णमूर्ति के सीनियर थे। उन्होंने कविता की मुलाकात मुकेश से कराई। लिहाजा जल्द ही कविता मुकेश के साथ भी स्टेज शो करने लगीं। उन्होंने तलत महमूद और महेंद्र कपूर के साथ भी कुछ शो किए। उनकी गायकी में वो परिपक्वता और साधना दिखाई देती है जो एक मंझे हुए कलाकार में होनी चाहिए और इसके पीछे उनकी बचपन की मेहनत है। शुुरुआती दिनों में कविता ने फिल्म इंडस्ट्री में डबिंग आर्टिस्ट के तौर पर काम किया था। हेमामालिनी की मां ने उन्हें विभिन्न संगीतकारों से मिलवाया था इससे कविता के कॅरियर को काफी फायदा हुआ था। बाद में उन्होंने कई फिल्मों में प्लेबैक सिंगर के तौर पर अपनी पहचान बनाई।
कविता के कुछ दिलकश गीत
— हवा हवाई…
— आंखों की गुस्ताखियां…
— तू चीज बड़ी है मस्त मस्त…
— आंख मारे…
— प्यार हुआ चुपके से
— नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम….
— हम दिल दे चुके सनम…
— पहले प्यार का पहला गम…
— हर कर्म अपना करेंगे ऐ वतन…
— रिमझिम रिमझिम…
— मय्या यशोदा…
— निंबूड़ा निंबूड़ा…
— ढोली थारो ढोल बाजे…
— के सेरा सेरा…
— सुनता है मेरा खुदा…
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