मशहूर कथक नृत्यांगना सितारा देवी महज़ ने महज़ 10 साल की उम्र में दी थी एकल प्रस्तुति

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भारत की मशहूर कथक नृत्यांगना सितारा देवी की आज 103वीं बर्थ एनिवर्सरी है। जब वह मात्र 16 साल की थी, तब इनकी नृत्य कला को देखकर गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर ने इन्हें ‘नृत्य सम्रागिनी’ कहकर सम्बोधित किया था। सितारा देवी ने अपनी नृत्य कला से भारत व विश्व के विभिन्न भागों में दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इन्होंने कथक के अलावा कुछेक फिल्मों में अभिनय भी किया था। सितारा देवी की शुरुआती दो शादियां चल नहीं पाई थीं, इसलिए इन्होंने तीसरी शादी कीं। इस खाास अवसर पर जानिए इनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

सितारा देवी का जीवन परिचय

कथक नृत्यांगना सितारा देवी का जन्म 8 नवंबर, 1920 को बंगाल प्रांत के कोलकाता में हुआ था। इनके पिता का नाम सुखदेव महाराज था, जो एक कथक नर्तक और संस्कृत के विद्वान थे। इनका बचपन का नाम धनलक्ष्मी था, क्योंकि सितारा का जन्म धनतेरस को हुआ था। इनकी दो बहनें थीं अलकनंदा और तारा। सितारा देवी का बचपन काफी संघर्ष में बीता था। कहा जाता है कि जन्म के समय इनका मुंह थोड़ा टेढ़ा था। इस वजह से इन्हें नौकरानी को दे दिया था। नौकरानी ने इनका मुंह ठीक किया था और उन्हें वापिस उनके माता-पिता को लौटा दिया। इनके पिता चाहते थे कि वह भी नृत्य सीखे। इस पर इन्हें अपने समुदाय के लोगों की आलोचना सहनी पड़ीं। परंतु इनके पिता ने अपनी राय बदली नहीं और बेटी को उसकी मंजिल तक पहुंचाने में कामयाब हुए।

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लच्छू महाराज से गुर सीखे थे कथक नृत्य के गुर

सितारा देवी करीब 10 साल की उम्र में सोलो परफॉर्मेंस करने लगी थीं। इन्होंने कथक नृत्य गुरु लच्छू महाराज से गुर सीखे थे। बाद में इनका परिवार बंबई (मुंबई) आ गया तो इन्होंने आतिया बेगम पैलेस में कथक की प्रस्तुति दीं। इसमें देश के चुनिंदा लोग दर्शक थे। कार्यक्रम में कवि रबींद्रनाथ टैगोर, स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडु और सर कवासजी जहांगीर आदि भी थे।

इस दौरान रबींद्रनाथ टैगोर ने इन्हें एक शॉल और 50 रुपए भेंट किए, लेकिन इन्होंने सिर्फ उनसे आशीर्वाद मांगा। इन्होंने कई प्रस्तुतियां देने के साथ ही कुछ हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया था। सितारा देवी ने बाल कलाकार के रूप में ‘औरत का दिल’ फिल्म से डेब्यू किया था। इन्होंने फिल्म ‘नगीना’ (वर्ष 1951), ‘रोटी’, ‘वतन’ (वर्ष 1954) व ‘अंजली’ (वर्ष 1957) में परफॉर्म किया।

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कथक सम्रागिनी सितारा देवी को मिले सम्मान और पुरस्कार

सितारा देवी को इनकी कला और नृत्य के क्षेत्र में दिए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 1970 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1994 में इन्हें ‘कालिदास सम्मान’ से पुरस्कृत किया गया। वर्ष 1969 में इन्हें ‘संगीत नाटक अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सितारा देवी ने वर्ष 2002 में ‘पद्मभूषण’ सम्मान लेने से इनकार कर दिया था। इसकी वजह ये थी कि वे ‘भारत रत्न’ से कम कोई पुरस्कार नहीं लेना चाहती थी।

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दो शादी असफल रही, तीसरी शादी से हुआ बेटा

प्रसिद्ध नृत्यांगना सितारा देवी ने कुल तीन शादियां की थी। इनके पहले पति एक्टर नजीर अहमद खान थे। नजीर पहले से ही शादीशुदा थे। इनकी यह शादी ज्यादा लंबी नहीं चली और इन दोनों का तलाक हो गया। बाद में सितारा फिल्म-निर्माता के आसिफ से संपर्क में आईं। दोनों एक-दूजे का चाहने लगे और वर्ष 1950 में शादी के बंधन में बंध गए। वर्ष 1950 के दशक के शुरुआती वर्षों में सितारा ने अभिनय के बजाय नृत्य पर अधिक ध्यान दिया। यह शादी भी ज्यादा लंबे समय नहीं रही और वह नि:संतान ही थी। आसिफ से तलाक के बाद सितारा ने एक गुजराती व्यवसायी सज्जन प्रताप बारोट से शादी की। इन दोनों का एक बेटा रंजीत बारोट हुआ।

सितारा देवी ने देश-विदेशों में कई बड़े इवेंट्स में अपने कथक नृत्य का जादू बिखेरा था। इन्होंने रॉयल एल्बर्ट हॉल, द कार्नेगी हॉल और न्यूयॉर्क में भी कथक परफॉर्म किया था। सितारा देवी का नृत्य के प्रति गहरा लगाव था, जिसकी वजह से इनकी निजी जिंदगी काफी प्रभावित हुईं। इन्होंने बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस रेखा, मधुबाला, माला सिन्‍हा और काजोल को भी कथक नृत्य सिखाया।

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भारतीय शास्नीय नृत्यांगना सितारा देवी का निधन

शोहरत और कामयाबी का लंबा सफर तय करने के बाद दिग्गज कथन नृत्यांगना सितारा देवी का निधन 94 वर्ष की उम्र में 25 नवंबर, 2014 को जसलोक अस्पताल में हुआ।

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