पाकिस्तान बार-बार संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में कश्मीर को मुद्दा बनाता रहा है। अगस्त माह में जम्मू-कश्मीर राज्य से आर्टिकल 370 और 35ए हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान की बौखलाहट बढ़ गई है। वह कश्मीर मुद्दे को लेकर फ़िर यूएन गया। लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया है कि नवंबर में कश्मीर मुद्दे पर कोई चर्चा यूनएन में नहीं होगी। यूके की स्थाई प्रतिनिधि और सिक्योरिटी काउंसिल की मौजूदा अध्यक्ष केरन पियर्स ने कहा कि फिलहाल दुनिया में कई तरह के मसले चल रहे हैं। जहां तक कश्मीर की बात है तो नवंबर में चर्चा के लिए इसे शेड्यूल नहीं किया गया है, इस पर पहले ही चर्चा हो चुकी है।
सीरिया के पत्रकार ने किया था कश्मीर पर सवाल
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष-15 देशों में नवंबर के लिए ब्रिटेन को अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है। इस मौके पर शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता आयोजित हुई थी। वहां सिक्योरिटी काउंसिल अध्यक्ष केरन पियर्स से सीरिया के जर्नलिस्ट ने सवाल किया कि इस बार काउंसिल की अध्यक्षता का दायित्व ब्रिटेन को मिला है, तो क्या उसकी ओर से कश्मीर को लेकर किसी सभा या परिचर्चा का कोई प्रस्ताव है?
सीरियाई जर्नलिस्ट के इस सवाल पर पियर्स ने कहा, सुरक्षा परिषद अध्यक्ष दुनियाभर में चल रहे मसलों में से ऐसे मामलों को चुनता है, जिन्हें पहले से काउंसिल के मानकों के आधार पर शेड्यूल नहीं किया गया है। हमने कश्मीर का मुद्दा इसमें शामिल नहीं किया है। हाल ही में सुरक्षा परिषद इस मामले पर चर्चा कर चुकी थी। उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर पर आखिरी चर्चा के बाद सुरक्षा परिषद के किसी सदस्य ने ऐसी किसी बैठक की मांग अभी तक नहीं की है।
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आर्टिकल 370 हटाने के बाद दोनों देशों में तनाव का माहौल
अगस्त माह के पहले सप्ताह में भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 और 35ए को समाप्त दिया था। इसके बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है। पाकिस्तान बॉर्डर पर कई बार गोला-बारी कर चुका है, जिसका भारतीय सेना ने उसे करारा जवाब दिया। पाकिस्तान ने कश्मीर पर हक़ जताते हुए इस मामले को यूएनएससी में रखा था, जहां उसे चीन और तुर्की को छोड़कर किसी दुनिया के किसी अन्य देश ने साथ नहीं मिला। भारत कश्मीर मामले में दुनिया के सामने पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसमें किसी दूसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है।