‘मर्णिकर्णिका’ के तीखे बोल, गुरूर में घुले या है हकीकत

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कंगना रनौत ने जब से अपनी फिल्म ‘मणिकर्णिका’ की घोषणा की थी तब ही से यह फिल्म विवादों में है। अब यह फिल्म रिलीज हो चुकी है लेकिन विवाद थम नहीं रहे और इस फिल्म से जुड़े लोगों का दर्द लगातार सामने आ रहा है। वहीं, पूरे मुद्दे पर कंगना ने जो जवाब दिया है उसे सुनकर यह समझ नहीं आ रहा है कि वे हकीकत बयां कर रही हैं या फिर उनमें अपने दम पर इंडस्ट्री में जगह बना लेने वाला गुरूर आ गया है। कंगना ने क्या कहा इससे पहले आपको फिल्म की शुरुआत से आखिरी तक के विवादों को एक बार रिकॉल करवा देते हैं…।

1. फिल्म पर विवाद की सबसे पहले शुरुआत हुई थी केतन मेहता और कंगना के बीच। दरअसल पहले कंगना, केतन मेहता के साथ ‘क्वीन आॅफ झांसी’ फिल्म करने वाली थी। इस फिल्म पर तकरीबन बहुत कुछ काम हो चुका था। लेकिन कंगना अचानक से इस फिल्म से हट गईं और साउथ डायरेक्टर कृष के साथ ‘मणिकर्णिका’ की घोषणा कर दी। इस बात से आहत केतन ने आरोप लगाया कि कंगना ने उनका आइडिया चोरी कर लिया। मेहता ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने जून 2015 में कंगना से इस फिल्म के लिए बात की थी तब उन्होंने फिल्म के लिए हामी भर दी थी। लेकिन कंगना ने उन्हें धोखा दिया और उन्हें करीब नौ करोड़ का नुकसान हुआ। वहीं, कंगना ने इस पर कहा था कि ये दोनों ही प्रोजेक्ट्स अलग थे।

2. दूसरा विवाद शुरू हुआ ‘मर्णिकर्णिका’ के डायरेक्टर कृष के साथ। दरअसल कंगना ने इस फिल्म को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर लिया और फिल्म के निर्देशन में हाथ आजमाया। जब फिल्म की शूटिंग चल रही थी तब ही से दबे पांव यह खबरें आने लगी थीं कि कंगना हद से ज्यादा डायरेक्शन में हस्तक्षेप कर रही हैं। फिल्म रिलीज हुई और अंत में कृष का भी गुस्सा फूट पड़ा। कृष का कहना था कि कंगना ने फिल्म में उन्हें क्रेडिट ही नहीं दिया और फिल्म में उनके विजन को उन्होंने तवज्जो ही नहीं दी। कंगना ने निर्देशक के तौर पर उनके हाथ बांध दिए थे। कृष का कहना है कि कंगना फिल्म में सब कुछ खुद ही करना चाहती थीं। वे किसी अन्य किरदार को हावी नहीं होना देना चाहती थीं, इसीलिए उन्होंने बाकी किरदारों की भूमिकाएं छोटी करवा दीं।
इसके अलावा कृष के साथ कंगना का नाम को लेकर भी विवाद हुआ। कृष के अनुसार, ‘मण‍िकर्ण‍ि‍का’ का पहला पोस्टर जिसमें डेट थी, उसमें मेरा नाम था। इसके बाद टीजर आया, उसमें मेरा नाम था, लेकिन उस तरह से नहीं, जिस तरह पिछली फिल्मों में ये रहा। मेरा नया नाम लिखा था ‘राधा कृष्णा जगरलामूदी’ जिसे मैं कभी यूज नहीं करता। जब मैंने इसे बदलवाना चाहा तो कंगना नाराज हो गईं।’

कृष के सर्पोट में राइटर अपूर्व असरानी भी सामने आए थे। उनका कहना था कि कंगना हर बात का खुद क्रेडिट लेना चाहती हैं। गौरतलब है कि ​फिल्म ‘सिमरन’ के दौरान राइटिंग क्रेडिट को लेकर अर्पूव और कंगना में विवाद हुआ था।
इसके अलावा पूजा भटृ और बिजॉय नाम्बियार भी इस विवाद पर यह बोल चुके हैं कि क्रेडिट उसे ही दिया जाना चाहिए जिसने मेहनत की है।

3.​ फिल्म का तीसरा विवाद था एक्टर सोनू सूद का फिल्म से हटना। दरअसल कंगना ने सोनू के किरदार में काफी काट छांट कर दी थी, जिससे परेशान होकर वे फिल्म से अलग हो गए थे। इस बारे में डायरेक्टर ​कृष ने बताया कि कंगना ने सोनू सूद का किरदार 100 मिनट से 60 मिनट का करा दिया, जिसके बाद उन्होंने फिल्म छोड़ दी। फिल्म में वे सदाशिव का किरदार निभा रहे थे। इस पर कंगना ने कहा था कि सोनू डेट्स नहीं दे रहे थे और वे एक महिला डायरेक्टर के अंडर में काम नहीं करना चाहते थे।

4. चौथे विवाद की बात करें तो सोनू के बाद एक और एक्ट्रेस स्वाति सेमवाल ने भी यह फिल्म छोड़ दी थी। स्वाति फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ मे नजर आई थीं। वे इस फिल्म में पार्वती का रोल कर रही थीं लेकिन रोल में काट छांट के कारण उन्होंने यह फिल्म छोड़ दी थी।

5. फिल्म के कुछ इंटीमेट दृश्यों को लेकर सर्वब्राह्मण महासभा ने भी अपना विरोध जताया था।

6. ताजे विवाद की बात करें तो फिल्म की कलाकार मिष्ठी चक्रवर्ती ने भी फिल्म को देखने के बाद अपनी हताशा जाहिर की है। मिष्ठी के अनुसार फिल्म में उनके किरदार को सिर्फ इसलिए काट दिया ताकि किसी और का किरदार ग्लोरिफाई किया जा सके।

ये तो हुई विवादों की बात, आइए अब आपको बताते हैं कि इन सब मुखर स्वरों पर कंगना ने क्या जवाब दिया, कंगना ने हाल ही एक इंटरव्यू में कहा…

‘मेरी फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में कृष का क्रेडिट है। उनका ये कहना बिलकुल ही गलत है कि फिल्म में उनका नाम नहीं है। इसके आगे की जो भी बात है वो उन्हें फिल्म के प्रोड्यूसर से करनी चाहिए। मुझ पर अटैक करने से उन्हें कुह नहीं मिलने वाला है। यह गलत है मीडिया में यह सब करके कुछ नहीं मिलेगा। अब फिल्म तो बन चुकी है। सौभाग्य या दुर्भाग्य से मैंने निर्देशित की हुई है। सारे जो अंतिम निर्णय हैं वो मैंने लिए हैं। इसका तो अभी कुछ नहीं हो सकता। जो लोग कह रहे हैं हमारा रोल काट दिया, कुश्ती का सीन निकाल दिया हमारी आवाज़ नहीं डाली, तो मेरा उन लोगों से बस यह कहना है कि, देखिए आज तक मैंने अपनी लाइफ में जो भी जगह पाई है, 3 बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त अभिनेत्री, फिल्म निर्माता, मैंने अपनी मेहनत से पाई है। मेरे पिताजी ने मुझे नहीं दी। आप भी यह जगह पाइए। रोकर क्या होगा? मैंने भी पांच मिनट के रोल से शुरू किया है। कई फिल्मों में मेरे रोल काटे गए हैं। कई फिल्मों में मुझे लास्ट मिनट पर निकाला गया है। अगर यह मेरी पावर है, तो मैं इसके लायक हूं। मैंने अपना नाम कमाया है। बतौर निर्देशक यह मेरा हक है कि, किस अदाकार को कैसे इस्तेमाल करना है। संघर्ष करने वाले लोगों से मेरी अपील है कि वो मुझसे प्रेरणा हासिल करें। मुझसे जलकर क्या मिलेगा। जिसे टक्कर लेनी है वो सामने आने के बजाए जाए जाकर ऐसी फिल्म बनाए और फिर मुझे बताए।’

यदि आप कंगना का जवाब ध्यान से पढ़ें तो आपको कहीं ना कहीं एक गुरूर नजर आएगा। दरअसल कंगना ने यह गुरूर कमाया है। शुरुआती दौर में उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया। फिर जब उन्होंने ‘क्वीन’ और ‘तनु वेड्स मनु’ जैसी फिल्में कीं और दर्शकों का प्यार पाया तो उन्हें एक नई आजादी का अहसास हुआ। इन फिल्मों की सफलता का क्रेडिट और लोगों को भी मिलना था लेकिन हवा ऐसी चली की सारा क्रेडिट कंगना की झोली में चला गया और राष्ट्रीय अवॉर्ड भी आ गया। ‘मुखर स्वभाव’ और ‘सफलता’ दो बातों ने कंगना को तीखा बोलने की ओर प्रेरित किया। हर मुदृे पर बेबाकी से राय रखना अलग बात है और खुद को हमेशा सुपीरियर साबित करना अलग बात है।

लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कंगना अपने काम को सौ प्रतिशत करने में विश्वास रखती हैं, भले ही इसके लिए रास्ता कोई भी हो। हकीकत यह है कि उनका काम पसंद किया जा रहा है और इंडस्ट्री के कई लोग उनकी तारीफ भी कर रहे है। यह कंगना के लिए एक सफलता है।

दूसरी और कंगना का वर्तमान स्वभाव देखते हुए कहा जा सकता है कि वे इंडस्ट्री में खुद को अलग तौर पर स्थापित करने का ख्वाब देखती हैं और इसके लिए वे हर तरह के दाव पेंच खेलने के लिए भी तैयार हैं।

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