डॉ. कैलाश वाजपेयी ने हिंदी की आधुनिक कविताओं को नई बुलंदियों पर पहुंचाने में निभाई थी अहम भूमिका

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हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक व कवि डॉ. कैलाश वाजपेयी की आज एक अप्रैल को 8वीं पुण्यतिथि है। वाजपेयी दार्शनिक मिजाज के कवि थे। डॉ. वाजपेयी पर अद्वैतवाद और बौद्ध दर्शन का गहरा प्रभाव दिखाई पड़ता है। उन्हें प्रसिद्ध ‘साहित्य अकादमी’ सहित कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया था। डॉ. कैलाश वाजपेयी दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला के लिए कॉलम भी लिखा करते थे। उनकी कविताओं का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। कैलाश वाजपेयी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी थी। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

प्रमुख रचनाकारों के साथ सन साठ के बाद की कविताओं की रचना की

1960 के दशक बाद नई कविताओं को ‘सन साठ के बाद की कविता’ कहा गया। इन कविताओं के प्रमुख रचनाकारों में रघुवीर सहाय, कुंवर नारायण, श्रीकांत वर्मा, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, केदारनाथ सिंह और डॉ. कैलाश वाजपेयी शामिल थे। इन्होंने हिंदी की आधुनिक कविताओं को बुलंदियों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं।

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डॉ. कैलाश वाजपेयी का जीवन परिचय

कैलाश वाजपेयी का जन्म 11 नवंबर, 1936 में उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के हमीरपुर में हुआ था। उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय ने ‘वाचस्पति’ की उपाधि से सम्मानित किया। डॉ. वाजपेयी कई पत्र-पत्रिकाओं से भी जुड़े रहे। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से संबंधित शिवाजी कॉलेज में अध्यापन का कार्य भी किया और वर्ष 2004 में सेवानिवृत्त हुए।

28 साल की उम्र में प्रकाशित हुआ पहला कविता संग्रह

डॉ. कैलाश वाजपेयी ने हिंदी कविता के इतिहास में अपना अहम योगदान दिया। उनका पहला कविता संग्रह ‘संक्रांत’ वर्ष 1964 में प्रकाशित हुआ था। उस समय उनकी उम्र 28 वर्ष थी। उनको काव्य संग्रह ‘हवा में हस्ताक्षर’ के लिए वर्ष 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। वह साल 2008 से 2013 तक साहित्य अकादमी की सामान्य परिषद के सदस्य भी रहे।

वाजपेयी की पहचान भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ और कवि के रूप में उनकी ख्याति अधिक थी। उन्होंने दिल्ली दूरदर्शन पर ‘कबीर’, ‘हरिदास स्वामी’, ‘सूरदास’, ‘जे. कृष्णमूर्ति’, ‘रामकृष्ण परमहंस’ और ‘बुद्ध’ के जीवन-दर्शन पर फिल्में बनाई। वह दूरदर्शन की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। वाजपेयी ने वर्ष 1960 में टाइम्स ऑफ इण्डिया प्रकाशन संस्थान, मुंबई में नौकरी की थी। लेखन के साथ उनकी कविताएं स्पेनिश, अंग्रेजी और जर्मन में भी अनुवादित हुई हैं।

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डॉ. कैलाश द्वारा लिखित एवं प्रकाशित कृतियां

कविता संग्रह : संक्रांत (1964), देहांत से हटकर, तीसरा अँधेरा (1972), महास्वप्न का मध्यान्तर (1980), प्रतिनिधि कविताएं, सूफ़ीनामा, सूफ़ीनामा (द्वितीय संस्करण-1998), भविष्य घट रहा है, हवा में हस्ताक्षर (2005), शब्द संसार, अनहट।

दर्शन

द साइंस ऑफ़ मंत्राज़ (1981, अंग्रेज़ी और स्पेनिश भाषाओं में), एस्ट्रा-कॉम्बिनेशंस (1987, अंग्रेज़ी में)।

शोध-प्रबन्ध

आधुनिक हिन्दी-कविता में शिल्प (1963)

निबंध संग्रह

समाज दर्शन और आदमी (1995)
आधुनिकता उत्तरोत्तर (1996)
एन एंथालिजि ऑफ़ माडर्न हिंदी पोएट्री (1996)

नाटक

युवा संन्यासी, विवेकानन्द – 1991 सार : आख्यायिकाएँ (1994)

प्रबंध काव्य

पृथ्वी का कृष्णपक्ष (1995)

कैलाश वाजपेयी को मिले पुरस्कार और सम्मान

कैलाश वाजपेयी को लेखन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मानों से सम्मानित किया गया था। उन्हें वर्ष 1995 में हिन्दी अकादमी सम्मान, वर्ष 2000 में एसएस मिलेनियम अवॉर्ड, वर्ष 2002 में व्यास सम्मान और वर्ष 2005 में ह्यूमन केयर ट्रस्ट अवॉर्ड से नवाज़ा गया। वर्ष 2009 में डॉ. कैलाश को उनके काव्य संग्रह ‘हवा में हस्ताक्षर’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

हृदयाघात की वजह से हुआ निधन

हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि व लेखक डॉ. कैलाश वाजपेयी का निधन 1 अप्रैल, 2015 को हृदयाघात की वजह से हुआ। उनके परिवार में पत्नी डॉ. रूपा वाजपेयी और एक पुत्री अनन्या वाजपेयी लेखन का कार्य करती हैं और उनकी किताब भी छप चुकी है।

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