दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक पर्वों में से एक कुंभ मेले की मकर संक्रांति पर हुई औपचारिक शुरूआत के बाद हर दिन वहां हजारों लोगों का हुजूम उमड़ रहा है।
विभिन्न अखाड़ों से आएं साधु-संतों ने पहले दिन की शोभा बढ़ाई तो सैकड़ों लोगों (जिनमें पर्यटक भी शामिल थे) के लिए दूसरा दिन रहा जहां सभी ने संगम में डुबकी लगाई।
हमेशा की तरह, लाखों लोगों के साथ सैकड़ों संगठनों और अखाड़ों से आए साधु-संत हमेशा आकर्षण का केंद्र रहे हैं। नागा साधुओं की कई तरह के पोज़ में फोटो सोशल मीडिया पर काफी पसंद की जाती है।
हालांकि, अलग-अलग वेशभूषा में देश के कई जगहों से आए साधुओं के प्रति श्रद्धालुओं की काफी श्रृद्धा रहती है। इनकी जीवन जीने की शैली हर बार इस धार्मिक आयोजन को अधिक अनूठा और रंगीन बना देती है।
रुद्राक्ष वाले बाबा
कुंभ मेले के साधुओं में से एक, जूना अखाड़े के महंत शक्ति गिरि आकर्षक धूप के चश्मा लगाए बैठे हैं।
गिरी ने अपने शरीर पर 70 किलो वजन उठा रखा है जिसमें उनका मुकुट और सैकड़ों ‘रुद्राक्ष की माला’ शामिल हैं। इन्हें ‘रुद्राक्ष वाले बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है। बाबा का मुकुट 22 किलोग्राम से अधिक वजन का है और अन्य 48 किलो उन्होंने शरीर पर सैकड़ों मालाओं के रूप में धारण कर रखा है।
कबूतर बाबा
जानवरों को साथ रखना भी भीड़ का ध्यान आकर्षित करने का एक और तरीका है। कुंभ मेले में इस बार एक अन्य बाबा दिखाई दे रहे हैं जिन्होंने अपने हाथ पर एक कबूतर के साथ चलते हैं। सैकड़ों साधकों को आकर्षित करने में सक्षम इन बाबा को ‘कबूतर बाबा’ का नाम दिया गया है।
कुंभ मेला केवल भारतीयों के लिए ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी एक शानदार कार्यक्रम का गवाह बनता है। कई विदेशी पर्यटकों को यहां पारंपरिक वेशभूषा में देखा जाता है।
इसके अलावा हर बार मेले में कल्पवासियों की ओर जाने वाले लोगों की संख्या भी ज्यादा देखी जाती है, जो इस बार मुख्य त्रिवेणी संगम के दूसरी ओर स्थापित है। कल्पवासी, वो होते हैं जो मेले के दौरान साधुओं की तरह सारे नियमों का पालन करते हैं जो कि हमेशा से कुंभ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं।