डायरेक्टर संदीप रेड्डी के थप्पड़ वाले बयान पर रेणुका शहाणे ने सौ टके की बात कही है

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‘कबीर सिंह’, इस फिल्म पर चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही। थमे भी क्यों? सवाल फिल्म के किरदारों पर जो उठ रहे हैं। ‘कबीर सिंह’ तमिल में पहले ही बन चुकी “अर्जुन रेड्डी” की हिन्दी रीमेक है। इन दोनों ही फिल्मों का डायरेक्शन किया है संदीप रेड्डी वंगा ने। फिल्म की रीलीज से पहले ही कई मीडिया प्लेटफोर्म्स पर फिल्म के लीड रोल कबीर सिंह पर सवाल खड़े हो चुके थे।

जिस तरह से फिल्म में कबीर सिंह के “मेल इगो” को ग्लोरिफाई किया गया था फिल्म विवादों में फंसनी ही थी। बहरहाल वो अलग बात है कि मेल ईगो वाले लोगों को पसंद आया और फिल्म बढ़िया कमाई कर रही है। फिल्म की टीम डिफेंस पोजिशन में आई भी लेकिन डायरेक्टर संदीप ने मामले को और गर्मा दिया।

एक इंटरव्यू में संदीप ने फिल्म को डिफेंड करते हुए कहा कि अगर आप थप्पड़ नहीं मार सकते, जहां आप चाहते हैं वहां अपनी प्रेमिका को टच नहीं कर सकते, तो मुझे आप में कोई इमोशन नहीं दिखता।

कबीर सिंह जैसे किरदार को डिफेंड करने के चक्कर में संदीप बहुत बड़ा बयान दे चुके थे। कई लोगों ने संदीप के इस बयान का खंडन किया। कई कलाकर सामने आए और इस बयान पर चिंता भी जताई।

संदीप रेड्डी को शायद भारत के हालात का अंदाजा नहीं है। जिस थप्पड़ की वो बात कर रहे हैं भारतीय कानून में उसे घरेलू हिंसा के अंदर रखा गया है। संदीप के पास शायद आंकड़ों की कमी है। जिस विचार को वो सबके सामने रख रहे हैं उसी विचार के साथ ना जाने कितनी औरतें हर घंटे अकेले भारत में हिंसा का शिकार होती हैं।

हमारे यहां 15 से 49 साल की उम्र तक 27 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार होती हैं, जबकि 31 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं अपने पति द्वारा फिजिकल, इमोशनल या सेक्सुअल हिंसा झेलती हैं।

इसी कड़ी में एक्ट्रेस रेणुका शहाणे ने कहा कि यहां फिल्म की बात नहीं हो रही है। वह असल जिंदगी की बात कर रहे हैं। उनका यह कहना कि जो औरतें रिलेशनशिप में हिंसा का विरोध कर रही हैं, उन्होंने प्यार ही महसूस नहीं किया, यह बड़ा अजीब बयान है। मैं अपनी जिंदगी बहुत प्यार से अपने साथी के साथ जी रही हूं। हमारी शादीशुदा जिदंगी बहुत अच्छी है। सफल है, उसमें बहुत ही ज्यादा प्यार और इज्जत है और उसमें कभी भी हमने एक दूसरे पर हाथ नहीं उठाया। मुझे लगता है कि किसी भी प्यार वाले रिश्ते में हिंसा जायज ही नहीं है।’

संदीप ने सफाई दे दी हो लेकिन जिस टोक्सिक प्यार को वो प्रमोट कर रहे हैं वो आज के विचार से मेल नहीं खाते। हिंसा को कैसे जस्टिफाई किया जा सकता है।

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