जस्टिस एस ए बोबडे ने ली देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ, ऐसा रहा उनका अब तक का सफर

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भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के 47वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने सोमवार को शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद की शपथ दिलाई। बता दें कि 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो गए। नियमानुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जस्टिस एस.ए. बोबडे का नाम देश के अगले मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव भेजा था। जिसे राष्ट्रपति कोविंद ने पारित कर दिया।

शरद अरविंद बोबडे की जीवन परिचय और कॅरियर

बोबडे का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र राज्य के नागपुर में हुआ। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा के बाद नागपुर यूनिवर्सिटी से बी.ए और एल.एल.बी की उपाधि हासिल की है। बाद में वर्ष 1978 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र ज्वाइन कर ली। इसके बाद वह बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस करते रहे हैं और वर्ष 1998 में वह वरिष्ठ वकील बने गए।

जस्टिस बोबडे ने 29 मार्च, 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट की खंडपीठ में एडिशनल जज के तौर पर पदभार संभाला। उन्होंने 16 अक्टूबर, 2012 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली। 12 अप्रैल, 2013 को जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बने थे।

राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई

अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले के लिए गठित सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की पीठ में जस्टिस एस.ए. बोबडे भी शामिल थे। अयोध्या मामले में पीठ से सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुनाया दिया गया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद जस्टिस एस. ए. बोबडे 23 अप्रैल, 2021 को इस पद से रिटायर होंगे।

बोबडे ने देश में लिए गए कई अहम फैसलों में मौजूद रहे हैं। उनमें आधार कार्ड और दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध शामिल हैं। आधार कार्ड मामले में उनके साथ पीठ में जस्टिस नागप्प और जस्टिस चेलमेश्वर भी शामिल थे।

अगस्त, 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस बोबडे ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था।

उन्होंने उस तीन सदस्यीय इन हाउस जांच समिति की अध्यक्षता की जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक महिलाकर्मी ने यौन आरोप लगाए थे। जिसकी समिति ने जांच की और चीफ जस्टिस गोगोई को क्लीन चीट दी। समिति में जस्टिस बोबडे के अलावा दो महिला जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं।

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